राहुल गांधी का सरकार पर हमला- पूंजीपतियों को उपहार के लिए भुगतान कर रहे गरीब

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. कोरोना की महामारी से जूझ रही देश की जनता पर लगातार पड़ रही पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों की मार पर अब कांग्रेस ने आक्रामक रवैया अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि गरीब और मध्यम वर्ग कीमत चुका रहा है और इसका उपहार पूंजीपतियों को मिल रहा है. उन्होंने पूर्ववर्ती डॉक्टर मनमोहन सिंह और वर्तमान मोदी सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल और पेट्रोल-डीजल की कीमतों का डाटा भी पोस्ट किया है. राहुल गांधी की ओर से पोस्ट किए गए ग्राफिक में यह दर्शाया गया है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार के समय 16 मई 2014 को कच्चे तेल की कीमत 107.09 डॉलर प्रति बैरल थी, तब देश में पेट्रोल 71.41 और डीजल 55.49 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था.

राहुल गांधी की ओर से पोस्ट किए ग्राफिक के हिसाब से 15 जून को कच्चे तेल की कीमत 40.66 डॉलर प्रति बैरल थी, तब देश में पेट्रोल 76.26 और डीजल 74.62 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. यूपीए सरकार की तुलना में कच्चे तेल की कीमतें आधे से भी कम पर आ गई हैं, लेकिन तब और अब के पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 4.85 और 19.13 रुपये प्रति लीटर का अंतर है. इस ग्राफिक में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी की भी तुलना कर आंकड़े दर्शाए गए हैं.

राहुल गांधी के इस ग्राफिक के अनुसार 16 मई को देश में पेट्रोल पर 9.20 और डीजल पर 3.46 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी. 15 जून को पेट्रोल पर 32.98 और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी है. यह 16 मई 2014 की तुलना में ढाई और आठ गुने से भी अधिक है. गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी कर 2014 के स्तर पर लाने की मांग की थी. सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार अपने 6 साल के कार्यकाल में बढ़ाए गए टैक्स ही वापस ले लेती है तो पेट्रोल और डीजल कीमतें 50 रुपये प्रति लीटर से नीचे आ जाएंगी.

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