पोस्ट कोरोना वर्ल्ड में अब योग और ध्यान को लेकर पूरी दुनिया में गंभीरता और बढ़ रही है-पीएम मोदी

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भारत में कोरोना का असर धीरे-धीरे कम होने लगा है. पूरी दुनिया चकित है कि भारत में कोरोना के केस अचानक कम कैसे होने लगे. भारत में एक ओर जहां वैक्सीन कोरोना कंट्रोल कर रही है, वहीं दूसरी ओर आयुर्वेद, योग और ध्यान ने भी लोगों को इस महामारी की चपेट में आने से बचाया है. आयुर्वेद और योग की यही महत्ता समझाने के लिए पीएम मोदी ने आज श्रीरामकृष्ण मिशन के अंतर्गत काम करने वाले हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट के प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम (75वीं वर्षगांठ) में वर्चुअली शिरकत की.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में श्रीरामकृष्ण मिशन की तारीफ की. पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में, समाज को मजबूती से आगे बढ़ाने में 75 वर्ष का ये पड़ाव बहुत अहम है. लक्ष्य के प्रति आपके समर्पण का ही ये परिणाम है कि आज ये यात्रा 150 से ज्यादा देशों में फैल चुकी है. बसंत पंचमी के इस पावन अवसर पर हम गुरू रामचंद्र जी की जन्मजयंती का उत्सव मना रहे हैं. आप सभी को बधाई के साथ मैं बाबूजी को श्रद्दांजलि अर्पित करता हूं.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मुझे बताया गया है कि जहां पर कान्हा शांतिवनम बना है वह पहले एक बंजर जमीन थी. आपके उद्यम और समर्पण ने इस बंजर जमीन को कान्हा शांतिवनम में परिवर्तित कर दिया है. ये शांतिवनम बाबूजी की सीख का जीता-जागता उदाहरण है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज की इस 20-20 वाली दुनिया में गति की बहुत महत्ता है, लोगों के पास समय की कमी है. ऐसे में सहज मार्ग के जरिए आप लोगों को स्फूर्त और आध्यात्मिक ढंग से स्वस्थ रखने में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं. आपके हजारों वॉलंटियर्स और ट्रेनर्स पूरे विश्व को योग और ध्यान के कौशल से परिचित करा रहे हैं, ये मानवता की बहुत बड़ी सेवा है. आपके वॉलंटियर्स और ट्रेनर्स ने विद्या के असली अर्थ को साकार किया है.

दाजी के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे कमलेश जी तो ध्यान और अध्यात्म की दुनिया में दाजी के नाम से विख्यात हैं. कमलेश जी के बारे में यही कह सकता हूं कि वो पश्चिम और भारत की अच्छाइयों का संगम हैं. आपके आध्यात्मिक नेतृत्व में श्रीरामचंद्र मिशन पूरी दुनिया और खासकर युवाओं को स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन की तरफ प्रेरित कर रहा है. साथियों आज विश्व भागमभाग वाली शैली से उपजी अनेक बीमारियों से लेकर महामारी और अवसाद से लेकर आतंकवाद तक की परेशानियों से जूझ रहा है. ऐसी स्थिति में सहज मार्ग, हार्टफुलनेस, ध्यान और योग आशा की करण की तरह हैं.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना पर बात करते हुए आगे कहा कि हम सभी इस बात के साक्षी हैं कि कैसे 130 करोड़ भारतीयों की सतर्कता कोरोना की लड़ाई में दुनिया के लिए मिसाल बन गई. इस लड़ाई में हमारे घरों में सिखाई गई बातें, आदतें और योग, आयुर्वेद भी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. इस महामारी की शुरुआत में भारत की स्थिति को लेकर पूरी दुनिया चिंतित थी लेकिन आज कोरोना से भारत की लड़ाई दुनिया भर को प्रेरित कर रही है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि पोस्ट कोरोना वर्ल्ड में अब योग और ध्यान को लेकर पूरी दुनिया में गंभीरता और बढ़ रही है. श्रीमद्भगवत गीता में लिखा है कि सिद्दि और असिद्धि में समभाव होकर योग में रमते हुए सिर्फ काम करो ये समभाव ही योग कहलाता है. योग के साथ ध्यान की भी इस विश्व को बहुत आवश्यकता है. दुनिया के कई बड़े संस्थान ये दावा कर चुके हैं कि अवसाद (डिप्रेशन) मानव जीवन की कितनी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. ऐसे में मुझे विश्वास है कि आप अपने हार्टफुलनेस कार्यक्रम से योग और ध्यान के जरिए इस समस्या से निपटने में मानवता की मदद करेंगे.

पीएम ने आगे कहा कि वेदों में कहा गया है कि जिस प्रकार आकाश एवं पृथ्वी का नास नहीं होता इसी तरह मेरे प्राण तुम भी भयमुक्त रहो. भयमुक्त वही हो सकता है जो स्वतंत्र हो. मुझे पूर्ण विश्वास है कि सहजमार्ग पर चलकर आप लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप में भयमुक्त बनाते रहेंगे. रोगों से मुक्त नागरिक मानसिक रूप से सशक्त नागरिक भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. इस साल हम अपनी स्वतंत्रता के 75वें साल में भी प्रवेश कर रहे हैं, आपके प्रयास देश को आगे बढाएं इन्हीं कामनाओं के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

पीएम मोदी के अलावा कार्यक्रम को हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट के मार्गदर्शक कमलेश पटेल (दाजी) ने भी वर्चुअली संबोधित किया. आपको बता दें कि हार्टफुलनेस 1945 से श्रीरामचंद्र मिशन के तहत भारत में योग, ध्यान के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव को लेकर लोगों की मदद कर रहा है. हार्टफुलनेस प्रोग्राम का मकसद सभी के दिल में शांति, खुशी और बुद्धिमता फैलाना है.

हार्टफुलनेस के प्रशिक्षण हजारों स्कूलों और कॉलेजों में पर चल रहे हैं. इसके अलावा 1 लाख से अधिक पेशेवर दुनिया भर में निगमों, गैर सरकारी और सरकारी निकायों में ध्यान कर रहे हैं. दुनिया के 160 देशों में 5,000 से अधिक हार्टफुलनेस सेंटर हैं जो हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी प्रशिक्षकों और लाखों चिकित्सकों से लैस हैं.

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