महिला होने के कारण मेरी मां को भारत में जज नहीं बनने दिया गया: निकी हेली

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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी सदस्य भारतीय मूल की निकी हेली ने भारत में महिलाओं कि स्थिति के संबंध में एक विवादास्पद बात कही है। निकी ने कहा कि अगर उनकी मां भारत में होती तो उन्हें कभी भी न्यायाधीश (जज) नहीं बनने दिया गया, क्योंकि वो महिला हैं।

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन की एक मीटिंग के दौरान महिलाओं की भूमिका पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में बुधवार को उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा, जब भारत में शिक्षा तक काफी लोगों की पहुंच नहीं थी, उस समय मेरी मां लॉ स्कूल में पढ़ाई करने गई। असल में वह भारत की कुछ पहली महिला जजों में से एक हो सकती थीं, लेकिन महिलाओं की स्थित को देखते हुए उन्हें जज की कुर्सी पर नहीं बैठने दिया गया।

उन्होंने आगे कहा, लेकिन देखिए उनके लिए यह देखना कितना मजेदार रहा होगा कि उनकी बेटी अमेरिका में साउथ कैरोलिना की गवर्नर बनी और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत हैं।

निकी हेली के पिता आजित सिंह और मां राज कौर रंधावा कथित तौर पर 1960 के दशक में भारत से अमेरिका गए थे। लेकिन ज्ञात हो कि आजादी से भी पहले और निकी के माता-पिता के भारत छोड़ने से करीब दो दशक पहले ही अन्ना चांडी त्रावनकोर में जज रह चुकी थीं। इसलिए निकी की इस टिप्पणी में कोई दम नहीं दिखता।

निकी को आईना दिखाती हैं चांडी
चांडी को देश के आजाद होने के करीब एक साल बाद साल 1948 में जिला न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नति मिली। यही नहीं साल 1959 में वह हाईकोर्ट में जज बन गई थीं। हेली के माता-पिता के भारत छोड़कर जाने से सालों पहले चांडी जज बन चुकी थीं, उन्होंने बहुत अच्छे से अपना काम किया और उन्हें जज की कुर्सी पर बैठने से किसी ने रोका भी नहीं।
गौरतलब है कि हेली पहली भारतीय-अमेरिकी नागरिक हैं जिन्हें अमेरिका का दूत बनाया गया है। उनका पद अमेरिका में कैबिनेट स्तर का है। बता दें कि उन्हें साल 2010 में साउथ कैरोलिना का गवर्नर चुना गया था।

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