लोकार्पित गौशालाओं को प्रत्येक को 1 लाख 20 हजार रुपये आवंटित

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मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के अन्तर्गत मनरेगा से कटनी जिले में निर्मित 30 गौशालाओं में से अब तक लोकार्पित 16 गौशालाओं में पशुओं के भूसा, चारे, रखरखाव की व्यवस्था के लिये एक लाख 20 हजार रुपये के मान से प्रति गौशाला राशि जारी की जायेगी। इस आशय का निर्णय सोमवार को कलेक्टर शशिभूषण सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समिति की बैठक में लिया गया। इस मौके पर नवागत अपर कलेक्टर साकेत मालवीय, उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ0 आर.पी.एस. गहरवार, डॉ. आर.के. सिंह, आजीविका मिशन की जिला प्रभारी शबाना बेगम, अध्य़क्ष दयोदय गौशाला साकेत जैन सहित जिले की अनुदान प्राप्त गौशालाओं के संचालक उपस्थित थे।

उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ0 गहरवार ने बताया कि मध्यप्रदेश गौपालन पशुधन संवर्धन बोर्ड द्वारा जिले की पंजीकृत गौशालाओं के सुदृढ़ीकरण, बुनियादी सुविधा के लिये 11 लाख 18 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई थी। जिसमें पात्र 3 गौशालाओं को 1 लाख 80 हजार रुपये की राशि दी जा चुकी है। शेष राशि 9 लाख 38 हजार का वितरण किया जाना है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के तहत निर्मित 30 गौशालाओं के संचालन के लिये 36 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है। जिनमें अब तक 16 गौशालायें लोकार्पित कर प्रारंभ की गई हैं। पात्रता अनुसार इन गौशालाओं के प्रारंभ होने पर पशुओं के चारा, भूसा और दाना की व्यवस्था के लिये एक लाख बीस हजार रुपये की राशि प्रत्येक गौशाला ग्राम पंचायत की समिति के खाते में जारी की जा रही है। इन लोकार्पित और प्रारंभ गौशालाओं के संचालन के लिये आजीविका मिशन के 21 महिला स्वसहायता समूहों को विधिवत् प्रशिक्षित किया गया है। इन समूहों को एकाउन्ट और बुक कीपिंग की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

प्रत्येक गौशाला 100 पशुओं के मान से 20 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन के हिसाब से राशि जारी की जा रही है। अप्रैल माह से इन संचालित गौशालाओं को अप्रैल, मई और जून माह के त्रैमास की एक मुश्त राशि जारी की जायेगी।

कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि इन गौशालाओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने गौवंश के अवशिष्ट पदार्थ गोबर और गौमूत्र से उपयोगी उत्पाद बनाकर आर्थिक गतिविधियां भी समूह संचालित करे। उन्होने कहा कि जिले में लोकार्पित सभी 16 गौशालाओं को विधिवत् रुप से संचालित करें तथा पानी की व्यवस्था के साथ ही विद्युत व्यवस्था भी शीघ्र पूर्ण करायें।

पर्यावरण के लिये उपयेागी है गौशाला का वेस्ट
कटनी जिले में अनुदान प्राप्त पंजीकृत गौशालाओं द्वारा अवशिष्ट पदार्था गोबर और गौमूत्र का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दिया जा रहा है। गौशालाओं के अवशिष्ट के रुप में गोबर और गौमूत्र प्रमुख रुप से उपलब्ध होता है। पंजीकृत गौशालायें गोबर का उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने के अलावा गोबर की लकड़ी, गमले आदि बनाने और गौमूत्र से आयुर्वेद औषधियां तथा विनायल बनाने के प्रयास कर रही हैं।

कलेक्टर शशिभूषण सिंह द्वारा इन अनुदान प्राप्त गौशालाओं को सक्षम बनाने दयोदय पशु सेवा केन्द्र कैलवारा और नंद गोपाल गौशाला समिति ताली रोहनिया को गोबर से लकड़ी और गमला बनाने की मशीन खरीदने एक-एक लाख रुपये की अनुदान सहायता दी गई थी। जिससे मशीनों के द्वारा इन दोनों गौशालाओं में गोबर की लकड़ी और गमले आदि बनाने की काम भी शुरु कर दिया गया है। दयोदय पशु सेवा केन्द्र गौशाला के अध्यक्ष साकेत जैन ने बताया कि इस बार होली के लिये गोबर की लकड़ी की अधिक मांग होने पर गौशाला ने लकड़ी विक्रय कर मुनाफा कमाया। इसी तरह प्लास्टिक को हतोत्साहित करने गोबर के गमले ईको फ्रेन्डली होने के फलस्वरुप काफी पसंद किये जा रहे हैं। दयोदय पशु सेवा केन्द्र अब गौमूत्र से विनायल और आयुर्वेदिक औषधियां तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहा है।

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