परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के विरोध को लेकर अलग-थलग पड़े चीन की खिसियाहट बढ़ती जा रही है। अमेरिका की आलोचना के जवाब में चीन ने सोमवार को कहा कि एनएसजी सदस्यता कोई विदाई का तोहफा नहीं है, जो वह सत्ता छोड़ रहे ओबामा प्रशासन को दे दे।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि एनएसजी में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों का प्रवेश विदाई उपहार नहीं हो सकता जो कि देश एक दूसरे को प्रदान कर सकें। चुनयिंग की टिप्पणी अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की उप मंत्री निशा देसाई बिस्वाल के बयान का जवाब माना जा रहा है। चुनयिंग ने कहा कि एनएसजी में भारत (गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के संबंध में) चीन ने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है।
चीन के विरोध का मुख्य आधार है कि भारत एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। गौरतलब है कि शुरुआती दौर की बैठकों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कई देशों ने भारत के एनएसजी आवेदन पर कुछ ऐतराज जताया था। लेकिन भारत की ओर से विस्तृत स्पष्टीकरण और अमेरिकी लांबिंग के बाद ये देश रजामंद हो गए हैं।
पाक को भी सदस्यता दिलाने का इच्छुक
चीन की मंशा है कि अगर एनपीटी का सदस्य न होने के नाते भारत को 48 देशों के समूह एनएसजी में प्रवेश की छूट दी जाती है, तो वैसी ही सुविधा पाकिस्तान को मिले। पाकिस्तान ने भी एनएसजी क्लब में शामिल होने का आवेदन कर रखा है। लेकिन ईरान, उत्तर कोरिया को चोरी-छिपे परमाणु सामग्री देने के आरोपों को लेकर ज्यादातर देश पाक को कोई छूट देने के सख्त खिलाफ हैं।
मसूद अजहर के मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में
जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाने के मुद्दे पर हो रही आलोचना पर चीन रक्षात्मक दिखा। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन मार्क अयरॉल्ट के लश्कर, जैश और हिज्बुल मुजाहिदीन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के बयान पर चुनयिंग ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि वह ‘अड़ंगा’ शब्द पसंद नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों पर फैसला करने वाली संयुक्त राष्ट्र समिति का फैसला ठोस सबूतों, सामयिक प्रस्तावों और सहमति पर आधारित होना चाहिए। भारत द्वारा नए सिरे से मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चीन ने ज्यादा विचार-विमर्श के मद्देनजर ही तकनीकी रूप से इसे रोका था। इसके लिए वह संबंधित पक्षों के संपर्क में है।