SEBI की बड़ी कार्रवाई, NSE पर लगाया 625 करोड़ का जुर्माना

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बाजार नियामक सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर सख्त कार्रवाई की है. सेबी ने एनएसई को अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव उत्पाद पेश करने से रोक दिया. साथ ही कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप से वरीयता देने के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को अपने 202 पेज के आदेश में एनएसई को को- लोकेशन सुविधा से संबंधित व्यापक नीति दस्तावेज तैयार करने का भी निर्देश दिया है. इसमें टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के लिए पात्रता मानदंड और स्टॉक ब्रोकरों और अन्य पंजीकृत इकाइयों द्वारा अनुपालन किए जाने वाले मानदंड शामिल हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उक्त दस्तावेज नीति आदेश की तारीख से तीन महीने के भीतर बाजार में कारोबार करने वाली बिचौलिया इकाइयों को जारी करने का निर्देश दिया गया है. सेबी ने इस आदेश की तिथि से अगले छह महीने के लिए कोई नया डेरिवेटिव उत्पाद पेश नहीं करने का निर्देश दिया है.

सेबी ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को एक खास जगह स्थापित एक्सचेंज के कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप से वरीयता देने (को – लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई है. एनएसई की को – लोकेशन सुविधा के माध्यम से हाई फ्रेक्वेंसी वाले वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है.

क्या होते हैं डेरिवेटिव उत्पाद
इक्विटी बाजार में दो सेगमेंट (हिस्से) होते हैं. इसमें एक है कैश यानी नकद सेगमेंट और दूसरा है डेरिवेटिव सेगमेंट. इसे फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस भी कहा जाता है. डेरिवेटिव उत्पाद ऐसे प्रतिभूतियां होती हैं जिसमें कोई एक एसेट या एसेट का समूह होता है. यह एसेट शेयर, बॉन्ड, कमोडिटी, करेंसी, इंडेक्स फ्यूचर कुछ भी हो सकता है. इसमें फ्यूचर, स्वाप, ऑप्शन आदि कारोबार होता है.

सेबी के आदेश में कहा गया है, ‘एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी.’ सेबी ने इस मामले में एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है. सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगाई है.

आदेश के मुताबिक, सेबी ने दोनों को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी रोक दिया है। साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को – लोकेशन सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई. इस मामले में आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक-बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में आपेक्षित प्रयास नहीं किया.

टीबीटी डेटा फीड ऑर्डर बुक में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है. इसे ट्रांसमिशन नियंत्रण प्रोटोकॉल / इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए प्रसारित किया जाता है. इस प्रोटोकॉल के तहत एक-एक करके सूचनाएं प्रेषित होती हैं. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने आदेश में कहा, ‘इसमें कोई संशय नहीं है कि शेयर बाजार ने टीबीटी रूपरेखा को लागू करने के समय आपेक्षित श्रम नहीं किया. इसके चलते एक ऐसा कारोबारी माहौल बना, जिसमें सूचनाओँ का प्रसार असमान था, जिसे निष्पक्ष एवं उचित और न्यायसंगत नहीं माना जा सकता.’

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