चुनाव आयोग का फैसला -बंगाल में ईवीएम के पास ना तो केंद्रीय बल जा पाएंगे ना पुलिस

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लोकसभा चुनाव के शुरुआती चार चरणों में मतदान के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर बड़ा एक्शन हुआ है. चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि 6 मई को होने वाले पांचवें चरण के मतदान के लिए जहां पर ईवीएम मशीन रखी जाएंगी वहां पर ना तो बंगाल की पुलिस जा पाएगी और ना ही केंद्रीय बल जा पाएंगे. दोनों तभी ईवीएम वाली जगह पर जा सकते हैं, जब वहां मौजूद चुनाव अधिकारी उन्हें इस बात की इजाजत देते हैं.

यानी जिस जगह वोटिंग होनी है वहां सिर्फ चुनाव अधिकारी ही मौजूद रहेंगे. इससे पहले खबर थी कि पोलिंग बूथ के अंदर सिर्फ केंद्रीय बलों की तैनाती होगी. यानी राज्य की पुलिस को पोलिंग बूथ से दूर रखा जाएगा. लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि अब दोनों को ही वोट डालने वाली जगह नहीं जाने दिया जाएगा.

पिछले चरणों में हुई हिंसा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने शिकायत की थी कि केंद्रीय बलों को हटाकर राज्य पुलिस को पोलिंग बूथ पर तैनात किया जा रहा है और चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है.

पश्चिम बंगाल के स्पेशल पुलिस ऑबजर्वर विवेक दुबे ने बयान दिया है कि इस चरण में सौ फीसदी पोलिंग बूथ को केंद्रीय बलों के द्वारा ही कवर किया जाएगा. उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की है कि आने वाले चरणों में इसी तरह से मतदान कराया जाएगा.

6 मई को होने वाले पांचवें चरण के मतदान में पश्चिम बंगाल की बंगांव, बैरकपुर, हावड़ा, उलुबेरिया, श्रीरामपुर, हुगली, आरामबाग सीट पर वोट डाले जाने हैं.

आसनसोल में हुई थी हिंसा
बीते चार चरणों में बंगाल में कई जगह हिंसा हुई है. चौथे चरण में ही बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो की भी पोलिंग बूथ के अंदर झड़प हो गई थी, जिसके बाद उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया गया था. आसनसोल में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करते हुए मतदान को रोक दिया था, जिसके बाद टीएमसी-बीजेपी कार्यकर्ताओं में झड़प हुई थी. हालात को काबू में करने के लिए स्थानीय पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा था.

इससे पहले जब मुर्शिदाबाद में मतदान हुआ था तो उपद्रवियों ने पोलिंग बूथ पर देसी बमों से हमला किया था. जिसमें एक वोटर की मौत भी हो गई थी. अभी तक के मतदान में बीजेपी-टीएमसी दोनों की तरफ से एकदूसरे पर हिंसा करने का आरोप लगाया गया है. फिर इसमें चाहे मतदान में रुकावट पैदा करना हो, हिंसा करना हो या फिर बूथ कैप्चरिंग का आरोप हो.

हालांकि, लगातार हो रही हिंसा के बावजूद बंगाल में मतदान पर कोई असर नहीं हुआ है. अभी तक के चार चरणों में मतदान 80 फीसदी से ऊपर ही गया है.

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