कश्मीर अशांति के 100 दिन पूरे, आम जनजीवन हुआ सबसे ज्यादा प्रभावित

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दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिला के कोकरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में चल रही अशांति के रविवार को 100 दिन पूरे हो गए। इस दौरान अलगाववादियों द्वारा आहूत हड़ताल और प्रशासनिक पाबंदियों की वजह से आज 100वें दिन भी आम जनजीवन प्रभावित रहा है। हालांकि स्थिति में सुधार को देखते हुए आज घाटी से कर्फ्यू हटा दिया गया। मौजूदा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अलगाववादियों की ओर से बुलाई गई हड़ताल के चलते घाटी में पिछले 100 दिन से बंद की स्थिति है। हालांकि बीच-बीच में कुछ अवधि के लिए राहत दी जाती है। हड़ताल के कारण दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और पैट्रोल पंप लगातार बंद रहे।

हड़ताल और प्रतिबंधों के कारण छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा है क्योंकि घाटी में स्कूल, कालेज और अन्य शिक्षण संस्थान बंद हैं। इस बीच श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद की ओर जाने वाले सभी रास्तों को भी बंद कर दिया गया। सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि घाटी के सभी क्षेत्रों के अलावा श्रीनगर से भी कर्फ्यू हटा लिया गया है। हुर्रियत ने हड़ताल को 20 अक्तूबर तक बढ़ा दिया है। हालांकि सड़कों पर कुछ निजी वाहन भी दिखाई दिए हैं। हुर्रियत कांफ्रैंस के उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवायज मौलवी उमर फारूक के गढ़ जामिया मस्जिद के आस-पास की स्थिति में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है।

लोग हुर्रियत के बुलाए बंद को नकार रहे
श्रीनगर में एक अधिकारी ने कहा कि स्थिति में सुधार आ रहा है। लोग हुर्रियत के बुलाए बंद को नकार रहे हैं और अपने दैनिक कार्यों के लिए घरों से बाहर आ रहे हैं। सिविल लाइंस और शहर के बाहरी इलाके में कई दुकानें खुलीं। कुछ लोगों ने कहा कि कश्मीर की आशंति ने उनका सबकुछ छीन लिया है और अलगाववादियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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