सिखों की बलिदानी परम्परा अदभुत और अद्वितीय : मुख्यमंत्री श्री चौहान

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ई-पत्रकार-जबलपुर-मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सिखों जैसी बलिदानी परम्परा का दूसरा उदाहरण कहीं नहीं मिलता। जब-जब देश पर संकट आया सिख आगे आए और अपना सर्वस्व मातृ-भूमि पर न्यौछावर कर दिया। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी ने देश की रक्षा और अत्याचार से संघर्ष करने के लिए जो त्याग किया उसकी मिसाल नहीं मिलती और उनका जीवन आने वाली सदियों तक प्रेरणा का स्त्रोत बना रहेगा। श्री शाह ने यह विचार जबलपुर में गोविन्द सिंह जी महाराज के 350 वें प्रकाश पर्व पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी ने अन्याय और अत्याचार से लड़ने में सर्वोच्च बलिदान दिया। अपने चार पुत्र की शहादत के बावजूद गुरूजी राष्ट्र-रक्षा के अपने संघर्ष से विमुख नहीं हुए और उसे सतत् रूप से जारी रखा। श्री चौहान ने कहा कि चाहे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर सरदार भगत सिंह का त्याग हो, सिखों की बलिदानी परम्परा अविचल बनी रही। दुश्मन से युद्ध में सिखों ने अपने सीने पर गोलियाँ खाई लेकिन अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं हुए। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वर्ष भर प्रकाश पर्व होगा। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों के पीड़ित यदि सहायता से वंचित रह गए हैं तो सरकार उन्हें राहत देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

श्री अमित शाह ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी ने अपना जीवन जिस प्रकार जिया वैसा दूसरा उदाहरण इतिहास में कहीं नहीं मिलता। उनका व्यक्तित्व सच्चे अर्थों में एक बहुआयामी व्यक्तित्व था। वे अपने जमाने के कवियों में सबसे बड़े कवि के रूप में प्रतिष्ठित थे। उन्होंने कई भाषाओं में साहित्य की रचना की थी। गुरू जी ने बृज भाषा के शुद्धिकरण का काम भी करवाया था। श्री शाह ने कहा कि हजार साल तक गुरू गोविन्द सिंह जैसा योद्धा शायद ही कभी जन्म ले। उन्होंने कहा कि वीर होना एक बात है किन्तु बलिदानी होना एक अलग बात है। खालसा पंथ की स्थापना कर देश की रक्षा का जो काम सिखों के दसवें गुरू जी ने शुरू किया था उसे देश कभी भुला नहीं सकता। उन्होंने समाज के भीतर एकता कायम करने का काम किया। गुरू गोविन्द सिंह के समय से आज तक देश की सीमा की रक्षा के लिए बलिदान देने में सिख सबसे आगे हैं। श्री शाह ने कहा कि देश के हर कोने में 350वाँ प्रकाश पर्व मनाए जाने का निर्णय लिया गया है, भले ही सम्बन्धित क्षेत्र में सिख निवास न करते हों। गुरू गोविन्द सिंह का त्याग और बलिदान हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

दिल्ली सिख गुरूद्वारा समिति के अध्यक्ष श्री मंजीत सिंह ने दशम् गुरू गोविन्द सिंह की कुर्बानियों का उल्लेख करते हुए त्याग और बलिदान के उनके जज्बे को अप्रतिम बताया।

वर्ष 1984 के दंगा पीड़ितों की समिति के अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि मुआवजा पाने से शेष रह गए दंगा पीड़ितों को राहत देने के लिए पहल करें। आरंभ में पूर्व मंत्री श्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू तथा श्री गुरू सिंह सभा सदर बाजार गुरूद्वारा के अध्यक्ष श्री नक्षत्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, चिकित्सा शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री शरद जैन, राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद और प्रदेश अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री श्री सुहास भगत, सांसद श्री राकेश सिंह, श्री प्रहलाद पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री विनोद गोटिया, महापौर डॉ स्वाति गोडबोले, विधायक श्री सुशील तिवारी इंदु और श्री अशोक रोहाणी, पूर्व मंत्री श्री अजय विश्नोई, भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष श्री अभिलाष पाण्डे भी मौजूद थे।

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