अमेरिका साल 2018 के लिए H-1B वीजा के लिए आज से आवेदन लेना शुरू करेगा। इस एलान के बाद माना जा रहा है कि ट्रम्प प्रशासन शायद इस साल वीजा नियमों में बदलाव न करे। हालांकि, अभी इस वीजा प्रोग्राम को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इंडियन आईटी फर्म्स और प्रोफेशनल्स के बीच इस वीजा की सबसे ज्यादा डिमांड है।
पिछले सालों से उलट इस बार यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्वसेस (यूएससीआईएस) ने यह साफ नहीं किया है कि H-1B वीजा के लिए एप्लिकेशंस कब तक ली जाएंगी। पिछले कुछ सालों में डिपार्टमेंट को बड़ी तादाद में एप्लिकेशंस मिलीं, जो अमेरिकी संसद से तय 85000 H-1B वीजा की लिमिट को पूरा करने के लिए काफी थीं। 85000 में से 65000 वीजा दूसरे देश के इम्प्लॉइज के लिए और 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले दूसरे देशों के स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं।
H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं। H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं। 2016 में सबसे ज्यादा वीजा इन्फोसिस को (33,289) मिला था। टीसीएस को 16533, आईबीएम को 13600, विप्रो को 12201, असेंचर को 9605 और डेलॉयट कंसल्टिंग को 7607 वीजा मिले। अमेरिकी गृह मंत्रालय के मुताबिक 2014 में 70 फीसद वीजा भारतीयों को ही मिले।
2016 में यह आंकड़ा 72 फीसद हो गया। अमेरिका में नौकरी करने के लिए इस वीजा का पीरियड 3 साल है। हालांकि इसे बढ़ाकर 6 साल कर सकते हैं। इस वीजा के लिए व्यक्ति खुद अप्लाई नहीं कर सकता। कंपनी के जरिए ही अप्लाई करना होता है।