वैज्ञानिकों ने चूहों में जीवित कोशिकाओं की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल किया है. जीव विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल उन चूहों के ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए किया गया जो डायबिटीज़ यानी मधुमेह से पीड़ित थे.
साइंस ट्रांसलेशन मेडिसिन में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि इससे डायबिटीज़ के उपचार में मदद मिल सकती है.
वैज्ञानिकों ने सबसे पहले आम कोशिकाओं में आनुवंशिक रूप से परिवर्तन किए ताकि ऐसी दवा बनाई जा सके जो इंसुलिन की तरह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करती है. एक ख़ास तरह की रोशनी ( स्मार्टफ़ोन की टचस्क्रीन से निकली रोशनी) से ऐसा संभव होता है. इस तंत्र को ऑप्टोजेनेटिक्स कहा जाता है और ये कोशिकाएं तब हरकत में आती हैं जब विशिष्ट तरंगों को लाल रंग की रोशनी में लाया जाए.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रकार की प्रणाली चूहों में प्रत्यारोपित कर वे चूहों में डायबिटीज को टच स्क्रीन के माध्यम से नियंत्रित करने में सफल रहे. वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग के लिए खून की एक छोटी बूंद ली ताकि वो ये जान सकें कि खून में शुगर का स्तर कितना है ताकि वो उसके हिसाब से जानवर के अंदर दवा की मात्रा डाल सकें.
उनका लक्ष्य ऐसा सिस्टम सक्रिय करना है जिससे शुगर का स्तर पता करने के साथ ही ये भी पता चलते रहे कि दवा की कितनी मात्रा शरीर में डाली जानी चाहिए. यह विचार अभी अपने प्रारंभिक चरण में है लेकिन ये केवल डायबिटीज तक ही सीमित नहीं है. कोशिकाओं के इस्तेमाल से इसे विभिन्न प्रकार की दवा के लिए तैयार किया जा सकता है.