प्राचीन काल से कन्याओं को माता का रूप माना जाता है इसलिए नवरात्री के त्यौहार के चलते इन कन्याओं को घर बुलाकर इनकी पूजा की जाती है। उन्हें भोजन कराया जाता है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक 9 कन्याओं को अधिक पूजा जाता है क्योंकि 9 कन्या 9 देवियों का रूप होती है।
इन बातों का रखें खास ध्यान:
१. कन्या पूजन और कन्या भोज के लिए कन्याओं की आयु दो वर्ष से 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है।
२. जिस प्रकार माँ की पूजा भैरव बाबा के दर्शन के बिना पूरी नहीं होती, ठीक उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है।
३. नवरात्री के दिनों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहूत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। महिलायें देवियों का रूप होती है।
४. इनका आदर करना ईश्वर की पूजा करने जितना पुण्य देता है। शास्त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं।