अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने शुक्रवार को कहा कि परमाणु हथियार से लैस उत्तर कोरिया से खतरा अगर बढ़ता है तो उसके खिलाफ अमेरिका द्वारा सैन्य कार्रवाई का ‘विकल्प’ भी खुला है.
एशियाई दौरे पर आये अमेरिकी विदेश मंत्री की इस कड़ी टिप्पणी को अलग-थलग पड़े इस राष्ट्र को लेकर अमेरिकी नीति में बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
पिछले हफ्ते प्योंगयांग द्वारा किये गये मिसाइल परीक्षण को जापान स्थित अमेरिकी ठिकानों पर हमले का अभ्यास बताये जाने के बीच टिलरसन का यह दौरा हो रहा है.
दक्षिण कोरिया को उत्तर से बचाने के लिए करीब 28 हजार सैनिक वहां मौजूद हैं लेकिन राजधानी सोल प्योंगयांग के तोपखाने की जद में है और विश्लेषकों का मानना है कि कोई भी झड़प तेजी से फैल सकती है और इसमें बड़े पैमाने पर जनहानि हो सकती है.
टिलरसन ने कहा कि अमेरिका का ”रणनीतिक धैर्य” अब खत्म हो चुका है. पिछले बराक ओबामा प्रशासन ने पहले यह रणनीति अपना रखी थी.
टिलरसन ने दक्षिण कोरियाई समकक्ष युन ब्यूंग-से के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”हम कूटनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक उपायों की नयी श्रृंखला को टटोल रहे हैं. सभी विकल्प खुले हुये हैं.”
टिलरसन ने कहा, ”निश्चित रूप से हम नहीं चाहते कि चीजें सैन्य संघर्ष तक जायें. अगर उन्होंने अपने हथियार कार्यक्रमों के खतरे में और इजाफा किया जिसपर हमे लगा कि कार्रवाई आवश्यक है तब सभी विकल्प हमारे सामने खुले हैं.”
उत्तर कोरिया की लंबे समय से परमाणु राष्ट्र बनने की महत्वाकांक्षा थी और वह यह कहता रहा है कि उसे खुद का बचाव करने के लिये इसकी जरूरत है. वैश्विक विरोध के बावजूद उसने 2006 में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया. इसके बाद चार और परीक्षण किये इनमें से दो तो पिछले साल ही किये गये.
टिलरसन की टिप्पणी तोक्यो में उनके उस बयान के एक दिन बाद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर को परमाणुविहीन करने के लिए 20 सालों से किये जा रहे प्रयास ”विफल” हो गये और उन्होंने बिना कोई स्पष्ट टिप्पणी किये इस पर एक नये रूख का वादा किया था.
परमाणु परीक्षण और मिसाइल कार्यक्र मों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन उसके कूटनीतिक संरक्षक और कारोबारी साझेदार चीन पर पूरी तरह से उन्हें लागू नहीं करने का अरोप लगता रहा है.