कालाधन जमा कराने वाले भारतीयों ने खोज लिया है नया ठिकाना

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नई दिल्ली: भारतीय धनकुबेरों के लिए स्विट्जरलैंड टैक्स हैवन के तौर पर जाना जाता रहा है लेकिन यह देश अब धन कुबेरों के लिए टैक्स हैवन नहीं रहा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि भारतीयों का 53 प्रतिशत से ज्यादा धन एशिया के हांगकांग, मकाऊ, सिंगापुर, बहरीन, मलेशिया जैसे देशों में पड़ा है जबकि स्विस बैंक में भारतीयों की 31 प्रतिशत सम्पत्ति ही बची है। विदेशी धन का विशलेषण करने वाले बैंक ऑफ इंटरनैशनल सैटलमैंट द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में तथ्य उभर कर सामने आया है। बैंक ऑफ इंटरनैशनल सैंटलमैंट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन-देन के डाटा का हिसाब रखता है। हालांकि यह डाटा जारी करते वक्त इस बैंक ने यह नहीं बताया कि यह डाटा कौन से देश द्वारा तैयार किया गया है।

भारत के प्रयास नहीं हो रहे सफल
बैंक द्वारा जारी यह डाटा साफ करता है कि भारत द्वारा विदेशी बैंकों में पड़े धन को वापस लाने के लिए किए जा रहे प्रयास बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए हैं। 2007 में स्विस बैंक में भारतीयों का 89 प्रतिशत धन पड़ा था। गौरतलब है कि 2015 के आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों का करीब 4 लाख करोड़ रुपया विदेशी बैंकों में पड़ा है और यह 2015 की भारत की कुल जी.डी.पी. का 3.1 प्रतिशत है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्रियों द्वारा इस डाटा का विशलेषण करने पर यह बात सामने आई है कि दुनिया के अलग-अलग देशों का 8.6 ट्रिलियन डॉलर धन विदेशी बैंकों में पड़ा है और यह विश्व की कुल जी.डी.पी. का 11.6 प्रतिशत है। 2007 के बाद इस धन में 54 प्रतिशत का उछाल आया है। इस सम्पत्ति में रियल एस्टेट और अन्य सम्पत्ति शामिल नहीं है।

चीन का 287 बिलियन डॉलर धन विदेशी बैंकों में पड़ा
स्विट्जरलैंड द्वारा इस मामले में पारदर्शिता अपनाए जाने और पनामा पेपर लीक होने के बाद हांगकांग जैसे देश टैक्स हैवन के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। चीन का 287 बिलियन डॉलर धन विदेशी बैंकों में पड़ा है और यह 2015 के आंकड़ों के मुताबिक चीन की जी.डी.पी. का 2.4 प्रतिशत है।

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