तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे

0

अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे,
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे ।

ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना,
पहले माज़ी का कोई ज़ख़्म तो भर जाने दे ।

आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी,
कोई आँसू मेरे दामन पर बिखर जाने दे ।

ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको,
सोचता हूँ कि कहूँ तुझसे मगर जाने दे ।

Previous articleअब स्‍कूल बेच सकेंगे स्‍टेशनरी, NCERT किताबें-CBSE
Next articleबकरीद पर आतंकी जाकिर मूसाने कहा कि गोपूजक पीएम से भारत को कराऊंगा आजाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here