हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज, परम्पराओं का संरक्षण हम सभी का दायित्व है- श्री पटवा

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रायसेन  – ईपत्रकार.कॉम |आदि गुरू शंकराचार्य के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक तथा भारत की एकता अखण्डता में किए गए योगदान को जन-जन तक पहुंचाने तथा ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना हेतु धातु संग्रहण के लिए आयोजित की जा रही एकात्म यात्रा मण्डीदीप से औबेदुल्लागंज पहुंची। एकात्म यात्रा के स्वागत अभिनंदन हेतु जगह-जगह स्वागत द्वार, रंगोलियां बनाई गई हैं। एकात्म यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले गांवों के लोगों द्वारा दोनों ओर खड़े होकर ढोल-नगाड़ों के साथ पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया जा रहा है। साथ ही मूर्ति स्थापना के लिए एकत्रित की गई अष्ट धातु तथा मिट्टी भी भेंट की जा रही है।

औबेदुल्लागंज में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा ने जनसामान्य से इस यात्रा में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने सांस्कृतिक रूप से पूरे देश जोड़ने का काम किया था। यह एकात्म यात्रा प्रदेश में समाज को जोडने का काम कर रही है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जा रही यह यात्रा ओंकारेश्वर पहुंचेगी जहां गांव-गांव से एकत्रित की गई धातु से बनी हुई 108 फीट आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस विशाल प्रतिमा के निर्माण में प्रदेश के सभी लोगो का धातु के रुप में योगदान रहेगा और वे भावनात्मक रुप से जुडे रहेंगे।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री पटवा आदि गुरू शंकराचार्य जी ने हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्कृति को संरक्षित, संवर्धित करने का काम किया है। उनके बताए हुए मार्गो पर हमें चलना है। लगभग 1200 साल पहले आठ साल की उम्र में आदि गुरू शंकराचार्य जी ने पद यात्रा शुरू की और केरल से लगभग 2 हजार किलोमीटर चलकर मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर पहुंचे और यहां ज्ञान की प्राप्ति की। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृतिक, रीति-रिवाज, परम्पराओं का संरक्षण हम सभी का दायित्व है। भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में अलग पहचान रखती है। हम सभी मिलकर इस यात्रा के माध्यम से भारत का पुनः विश्व गुरू बनाने का संकल्प लेते हैं।

इस अवसर पर एकात्म यात्रा के प्रभारी श्री शिव चौबे ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने भले ही दक्षिण भारत में जन्म लिया हो लेकिन उन्हें ज्ञान मॉ नर्मदा के किनारे ही प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भौतिक विकास का आधार मॉ नर्मदा ही हैं। हम सब मॉ नर्मदा के ऋणी है। नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर में सांस्कृतिक पुनरूत्थान कार्यक्रम में आदि शंकराचार्य जी का पावन स्मरण कर मुख्यमंत्री द्वारा ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की गई थी। एकात्म यात्रा का उद्देश्य आदि शंकराचार्य के जीवन एवं कर्तव्य का पावन स्मरण करना है जिससे श्रेष्ठ व्यक्ति, समाज, राष्ट एवं विश्व का निर्माण हो सके।

निरजंनी अखाडा के महामण्डलेश्वर एवं गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानन्द जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने दक्षिण भारत के छोटे से गांव में जन्म लिया और पूरे विश्व में सनातन धर्म और संस्कृति का प्रसार किया। आशुतोष शिव के रूप में अवतरित आदि शंकराचार्य जी ने भारत वर्ष के चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर अध्यात्मिक, सांस्कृतिक सामंजस्य एवं एक्य संस्थापन का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि एकात्म यात्रा समाज के सभी वर्गो को एकजुट करने का सरकार का सार्थक प्रयास है। इस यात्रा के माध्यम से प्रदेश वासियों को एकात्मवाद और अद्वैतवाद तथा आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन दर्शन को जानने और अपने जीवन में उतारने का एक सुअवसर प्राप्त हुआ है।

स्वामी निवेदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी का संत के रूप में, ज्ञानी के रूप में, आदि गुरू के रूप में प्रादुर्भाव ओंकारेश्वर क्षेत्र में ही हुआ। आदि गुरू शंकराचार्य जी छोटी सी उम्र में ही गुरू की खोज में ओंकारेश्वरम नर्मदा तट पर पहुंचे थे। ओंकारेश्वर आदिकाल से ही तपोभूमि रहीं है। यहां अनेक ऋषि, मुनियों ने तप किया और देश का मार्गदर्शन किया। आदि गुरू ने यहां ज्ञान प्राप्त किया और सम्पूर्ण देश का भ्रमण कर महज 32 वर्ष की आयु में चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। आज हम सभी लोग अपना ये कर्तव्य समझते हैं कि हम अपने माता-पिता को चारों धाम के दर्शन करा दें तो पितृ ऋण से मुक्त हो जाएंगे। अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के प्रमुख श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि एक ही ईश्वर तत्व कण-कण में अपने आपको प्रकट कर रहा है, इसका साक्षात्कार करने वाले संतों की यह भारत भूमि है। इसलिए यह एकात्मता की भूमि है। जनसंवाद कार्यक्रम में औबेदुल्लागंज जनपद अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा मेहरा, औबेदुल्लागंज नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती हरप्रीत कौर, कलेक्टर श्रीमती भावना वालिम्बे तथा एसपी श्री जगत सिंह राजपूत भी उपस्थित थे।

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