मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन..

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जब रूह किसी बोझ से थक जाती है,

एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है,

मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन,

ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।

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