29 एवं 30 अक्टूबर 2017 को अंबापानी में होगा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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बड़वानी – (ईपत्रकार.कॉम) |शहीद भीमानायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी द्वारा जनजातीय परम्परा में भारतीय दर्शन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन हेतु प्रस्ताव भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को भेजा गया था, जिसे स्वीकृती मिली है, आगामी अक्टूबर माह के 29 एवं 30 तारीख को यह संगोष्ठी ग्राम अंबापानी में आयोजित होगी।

इस संगोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनजातियों के इतिहास लेखन के भावी कार्य को राष्ट्रव्यापी बनाना हैं, आदिवासियो की जीवनशैली, व्यवस्था तथा राष्ट्र के प्रति निष्ठा में परिवर्तन आया है वास्तविकता यह है की जनजातिय लोग प्रांरभ से ही प्रकृति पुत्र रहे हैं उनका आर्थिक जीवन भी बड़ा विचित्र रहा है, जनजातीय सांस्कृतिक परम्पराएं, भारतीय समाज का अभिन्न अंग है, बाहरी सभ्यताओं के प्रभावो में आकर भी इस समाज ने अपनी मौलिक सांस्कृतिक एकता को विलुप्त नही होने दिया हैं, साधारणतः ऐसे समूह को जनजाति नाम दिया गया है। इन्ही सब विषयो को ध्यान में रखते हुए इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का अयोजन बढे स्तर पर किया जा रहा है।

उक्त संगोष्ठी की तैयारीयों को लेकर महत्वपूर्ण बैठक महाविद्यालय में आयोजित की गई जिसमें राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ.बालमुकुंद पांडे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डॉ.श्रीकांत, मालवा प्रांत के अध्यक्ष डॉ.तेजसिंह सेंधव, क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ.हर्ष वर्धन सिंह, व संस्था के प्राचार्य डॉ.एन.एल. गुप्ता एवं नगर के गणमान्य नागरिक तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक इस बैठक में उपस्थित थे।

ग्राम अंबापानी में शहीद भीमानायक ने अंग्रेजो के विरूद्ध स्वतंत्रता संग्राम की लडाई अपनी जनजातीय टोली के साथ लड़ी थी इसलिए इस ऐतिहासिक स्थल को संगोष्ठी के लिए चुना गया है। संगोष्ठी के आयोजन को लेकर ग्राम अंबापानी में भी बैठक का अयोजन किया गया, जिसमें आयोजन समिति, परामर्शदाता मंडल, संयोजक मंडल के पदाधिकारी, व महाविद्यालय के प्राध्यापक, तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित होकर आयोजन को लेकर वृहद स्तर पर कार्यक्रम को कार्य योजना तैयार की गई है।

आयोजक संस्था के प्राचार्य डॉ.एन.एल. गुप्ता ने बताया की अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली, भारतीय इतिहास परिषद्, भारत सरकार एवं भीमा नायक महाविद्यालय, बड़वानी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली इस संगोष्ठी में देश भर के इतिहासकार, जनजातीय विषय विशेषज्ञ, जनजातीय समाजिक कार्यकर्ता शामिल होगें। इस संगोष्ठी के आगंतुको को अंबापानी गांव में ही निवास की व्यवस्था की जाएगी तथा दो दिवसीय संगोष्ठी मैराथन चिंतन हेतु घास-पुस का विशाल पंडाल का निर्माण किया जावेगा।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य संयोजक डॉ.सुमेरसिंह सोलंकी ने बताया की इस संपूर्ण आयोजन के लिए एक उच्च स्तरीय आयोजन समिति गठित कि गई है, जिसमें मुख्य संरक्षक मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविन्द्र कान्हेरे, वरिष्ठ इतिहासकार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली प्रो. सतीशचंद्र मित्तल, संगठन सचिव अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना डॉ.बालमुकुंद पांडे, कुलसचिव जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर प्रो.आंनद मिश्र, कलेक्टर एवं पदेन अध्यक्ष जनभागीदारी समिति श्री तेजस्वी एस नायक, अटल बिहारी वजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपित डॉ.रामदेव भारद्वाज, रानी दूर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो.कपिल देव मिश्र व प्राचार्य शहीद भीमानायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डॉ.एन.एल. गुप्ता शामिल है।

परामर्शदाता मंडल में अध्यक्ष राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण भारत सरकार, आई.सी.एच.आर. नई दिल्ली के सदस्य प्रो.कुमार रत्नम, प्रो.ए.नारायण राव, प्रो.रहमान अली, कृषि महाविद्यालय खण्डवा के प्रो. प्रकाश शास्त्री, क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ.हर्ष वर्धन, अध्यक्ष भारतीय इतिहास संकलन समिति मालवा प्रांत के डॉ.तेजसिंह सेंधव हैं। स्थानीय स्तर पर एक संयोजक मंडल गठित किया गया है।

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