ई-पत्रकार-पाकिस्तान एक बार फिर भारत के मिसाइल प्रोग्राम की आलोचना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का सहारा ले रहा है। पाकिस्तान ने 35 देशों वाले संगठन मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (MTCR) से कहा है कि अग्नि-5 जैसी इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें डेवलप कर भारत साउथ एशिया में डर और दहशत पैदा करने की कोशिश कर रहा है। उधर चीन के सुर बदले-बदले नज़र आ रहे हैं और उसने एशिया-पैसिफिक सिक्यॉरिटी पर चीन के पॉलिसी डॉक्युमेंट में कहा गया है कि भारत के साथ उसके संबंध पहले के मुकाबले ‘मजबूत’ हुए हैं।
पाकिस्तान फिर बौखलाया!
पाकिस्तान ने मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (MTCR) के देशों से भारत की शिकायत करते हुए भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, पाक सरकार ने MTCR से कहा है कि भारत के मिसाइल टेस्ट से हम काफी फिक्रमंद हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी तस्नीम असलम ने कोरिया में MTCR की मीटिंग के दौरान चेयरमैन हाम सांग-वूक से कहा कि भारत के मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम्स और इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के चलते रीजनल पीस और स्टैबिलिटी के सामने खतरा पैदा हो गया। हम साउथ एशिया में हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहते। लेकिन साउथ एशिया में स्ट्रैटजिक रिस्ट्रेन्ट रेजीम (सब्र रखने का करार) कायम हो ताकि कोई भी देश किसी पर एटमी या मिसाइल हमला ना करे। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हम मास-डिस्ट्रक्शन के हथियारों के प्रसार (प्रोलिफरेशन) को रोकने के लिए दुनियाभर में हो रही कोशिशों में अपना योगदान दे रहे हैं।
बुधवार को जारी एशिया-पैसिफिक सिक्यॉरिटी पर चीन के पॉलिसी डॉक्युमेंट में कहा गया है कि चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर और वियतनाम के साथ भारत के संबंध मजबूत होने को लेकर मतभेद के बीच चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हुई है। चीन ने पाकिस्तान का जिक्र किए बिना आतंकवाद से लड़ने के बारे में इस डॉक्युमेंट में कहा है, ‘चीन का मानना है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले स्थानों को समाप्त करने के लिए विभिन्न देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया बढ़नी चाहिए और इस समस्या का समाधान राजनीतिक, आर्थिक और राजनयिक जरियों के साथ होना चाहिए। इसके साथ ही, आतंकवाद से लड़ने के लिए दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। आतंकवाद को किसी विशेष देश, नस्ल या धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए।’
डॉक्युमेंट के अनुसार, ‘2015 से शांति और समृद्धि के लिए चीन और भारत के बीच रणनीतिक भागीदारी और सहयोग और मजबूत हुआ है। दोनों देशों ने डिवेलपमेंट के लिए भागीदारी बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है और वे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के संपर्क में रहे हैं।’ हालांकि, चीन ने NSG में भारत के प्रवेश और जेईएम के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की भारत की मांग का चीन की ओर से विरोध किए जाने जैसे दोनों देशों के बीच मतभेद वाले मुद्दों का कोई जिक्र नहीं किया। डॉक्युमेंट में दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में भी सुधार होने की बात कही गई है। इसमें बताया गया है, ‘चीन और भारत की सेनाओं के बीच संबंध मजबूत और स्थिर रहे हैं।