आफताब की गर्मी से दरिया का पानी ख़त्म नहीं होता

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आफताब की गर्मी से दरिया का पानी ख़त्म नहीं होता,

लैला के इंकार से मजनू का जज़्बा कम नहीं होता,

फ़िराक की मुसीबत हो या यार के वस्ल की लज़्ज़त,

किसी भी हाल में अश्कों का बहना काम नहीं होता।

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