मौत जीवन का अटल सच है । मौत के बाद मुक्ति पाने के लिए इंसान पूरा जीवन भटकता है। लेकिन कुछ लोग मरने के बाद भी भटकते हैं उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और ऐसे लोगों की रूह शमशान या कब्रिस्तान में घूमती रहती हैं ।
श्मशान या कब्रिस्तान ऐसा नाम है जिसे सुनते ही किसी के भी मन में डर घुस जाएगा। इस पर भी अगर उसे रात को इन स्थानों पर जाने या इनके पास से जाने के लिए कहा जाए तो वो बेचारा मर ही जाएगा।
वहां घूमती हैं नकारात्मक शक्तियां
बहुत से लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक मनोवैज्ञानिक समस्या मानते हैं। आध्यात्म विज्ञान के जानकारों के अनुसार श्मशान अथवा कब्रिस्तान ऐसे स्थान हैं जो नकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं। असल समस्या इसी नकारात्मक ऊर्जा के कारण आती है।
इन स्थानों पर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने आए लोग दुख और शोक में विलाप करते हैं, जो कि यहां के माहौल को नकारात्मक बना देती है। लंबे समय तक ऐसा होते रहने से यह ऊर्जा प्रचंड मात्रा में इकट्ठा हो जाती है।
ऐसे लोगों को नहीं जाना चाहिए शमशान
जिनकी मानसिक शक्ति प्रबल है या जिन लोगों की प्रबल इच्छाशक्ति है, उन पर ऐसी चीजों का असर कम होता है। इसके विपरीत जो लोग कमजोर दिल वाले होते हैं, उन पर ऐसी शक्तियां जल्दी हावी हो जाती हैं।
इस पर भी अगर कोई व्यक्ति नेगेटिव थिंकिंग रखता है तो इन शक्तियों का उस पर बहुत ज्यादा असर होता है और वो इनके वश में हो जाता है। रात को जबकि दिमाग भी एकाग्र होता है और नकारात्मक शक्तियां भी प्रबल होती है, श्मशान की नकारात्मक शक्तियां जल्दी ही व्यक्ति पर हावी हो जाती है।