कांग्रेस के कई दरबारी अपनी ‘वफादारी’ साबित करने के लिये सामने आए-अमित शाह

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आजादी के बाद नेहरू गांधी परिवार से बाहर के किसी पार्टी सदस्य के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच बहस छिड़ गई है। इसी बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि 1978 में इंदिरा कांग्रेस के गठन के बाद से इस पार्टी को वंशवादी सेवा के लिये पारिवारिक उद्यम बना दिया गया।

इंदिरा सरकार पर लगाए आरोप
अमित शाह ने रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नेहरू गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाये जाने की चुनौती के बाद कई दरबारी अपनी ‘वफादारी’ साबित करने के लिये सामने आए, इससे स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सही कह रहे हैं। 1978 में इंदिरा कांग्रेस के गठन के बाद से एक परिवार के चार सदस्यों ने पार्टी का नेतृत्व किया और इसे पारिवारिक उद्यम का रूप दे दिया जिसका मकसद लोगों की सेवा के लिये राजनीतिक पार्टी बनाने की बजाए वंशवादी सेवा प्रदान करना था।

कांग्रेस ने कई नेताओं को किया अपमानित
शाह ने पी वी नरसिम्हा राव एवं सीताराम केसरी का जिक्र करते हुए लिखा किएक परिवार से बाहर के जिन दो सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया, उनके साथ बेहद खराब व्यवहार किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यू एन ढेबर को इंदिरा गांधी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष पद छोडऩे को कहा गया जबकि नीलम संजीव रेड्डी को वरिष्ठ होने के बावजूद एक परिवार ने राष्ट्रपति नहीं बनने दिया। भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि इसके अलावा बाबू जगजीवन राम, एस निजलिगप्पा और के. कामराज को एक परिवार ने अपमानित किया। उन्होंने जोर दिया कि गांधीजी और सरदार पटेल के साथ काम करने वाले आचार्य कृपलानी को 50 एवं 60 के दशक में अपमानित किया गया ।

क्या है मामला
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कुछ समय से नेहरू गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की चुनौती देते रहे हैं। इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आजादी के बाद नेहरू गांधी परिवार से इतर अब तक बने 16 कांग्रेस अध्यक्षों के नाम शनिवार को गिनाये थे और प्रधानमंत्री को याददाश्त दुरूस्त करने की सलाह दी थी ।

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