केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य न हो

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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना और खड़े होना अनिवार्य नहीं हो सकता है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना और उस दौरान खड़ा होना अनिवार्य न हो. सरकार की ओर से कहा गया है कि मंत्रालय समिति अभी इस पर विचार कर रही है.

फिलहाल सिनेमाघरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता तब तक बनी रहेगी, जब तक सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में सुधार कर इसमें ढील ना दे दे या फिर अंतरमंत्रालय समिति की रिपोर्ट ना आ जाए. यानी सिनेमाघरों, थियेटरों, सभागारों में अनिवार्य रूप से बजने वाले राष्ट्रगान के समय दिव्यांगों को छोड़कर सभी को सावधान की मुद्रा में खड़ा होकर राष्ट्रगान का सम्मान करना होगा.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर राष्ट्रगान पर अपना अब तक का रुख साफ कर दिया. सरकार ने कोर्ट से अपने 2016 के आदेश में सुधार की भी अपील की है. केंद्र सरकार ने कहा कि हालांकि अंतर मंत्रालय समिति इस पर विचार कर रही है, लेकिन कोर्ट खुद ही राष्ट्रगान की अनिवार्यता में ढील दे दे तो बेहतर होगा.

केंद्र सरकार ने कहा कि अंतर मंत्रालय समिति सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश के बाद इस बाबत दिशा-निर्देश तय करने की कवायद कर रही है. जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश का पालन होगा, क्योंकि संसदीय समिति ही तय करेगी कि भविष्य में इस बाबत नियम क्या होंगे.

हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत कदम उठाने की बात कहने के बाद सरकार ने 5 दिसंबर को अंतर मंत्रालय समिति का गठन कर दिया था. ये समिति ही तय करेगी कि 2016 का आदेश कितना उचित है. आगे इस पर कैसे अमल किया जाए, यानी समिति की सिफारिशों के आधार पर ही केंद्र सरकार नया नोटिफिकेशन या सर्कुलर या फिर नए नियम तय करेगी.

केंद्र सरकार के इस हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार की सुनवाई में विचार करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को लेकर आ रही आपत्तियों के बाद सरकार इस बारे में क्या नियम तय करेगी. कोर्ट ने सरकार से ये भी साफ करने को कहा था कि कायदे से राष्ट्रगान बजते समय सिर्फ सावधान की मुद्रा में खड़े होना जरूरी है या फिर इसे गाना भी. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि सिनेमाघर, थियेटर या सभागार के अलावा सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता के नियम कायदे क्या हों.

पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये भी कहा था कि लोग सिनेमाघरों में मनोरंजन के लिए जाते हैं. वहां देशभक्ति का क्या पैमाना हो इसकी एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए. इन सबके बावजूद ऐसे नोटिफिकेशन, सर्कुलर या शासनादेश या फिर नियम तय करने का काम सरकार का है. सुप्रीम कोर्ट पर ये जिम्मेदारी नहीं थोपी जानी चाहिए.

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