चलने वाले संभल कर चलना हम भी कभी इंसान थे।

0

एक दिन निकला सैर को मेरे दिल में कुछ अरमान थे,

एक तरफ थी झाड़ियाँ… एक तरफ श्मशान थे,

पैर तले इक हड्डी आई उसके भी यही बयान थे,

चलने वाले संभल कर चलना हम भी कभी इंसान थे।

Previous articleपाक की मदद रोकने का सईद की रिहाई से नहीं कोई संबंध : अमेरिका
Next articleकोलार लोकसेवा केन्‍द्र को आदर्श लोकसेवा केन्‍द्र बनाया जाएगा – कलेक्टर डॉ. खाड़े

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here