जमाखोरी कर ऊंचे दामों पर भारत व यूरोप को PPE बेच रहा है चीन-US

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‘ट्रेड वॉर’ के बाद अमेरिका और चीन के बीच लड़ाई की वजह कोरोना वायरस बना हुआ है। अमेरिका और चीन दोनों एकदूसरे पर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलाने के आरोप लगाते रहे हैं और अब वॉशिंटगन ने ऐसा दावा किया है कि पेइचिंग ने मास्क और पीपीई की जमाखोरी की और अब ऊंची कीमत पर बेच रहा है। इस आरोप के बाद दोनों के बीच फिर से तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

वाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया है कि अमेरिका के पास इस बात के सबूत हैं कि जनवरी और फरवरी में चीन ने 18 गुना अधिक मास्क और निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) मंगाए थे जिसे अब वह ऊंची दरों पर बेच रहा है। वाइट हाउस में व्यापार व उत्पादन निदेशक, पीटर नवारो ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारत और ब्राजील समेत कई देशों के पास पर्याप्त पीपीई नहीं है क्योंकि पेइचिंग उनकी जमाखोरी कर रहा है।

वायरस की जानकारी छुपा जुटा लिए PPE
नवारो ने कहा, ‘ चीन ने वायरस की जानकारी छिपाते हुए पूरी दुनिया से सभी निजी सुरक्षात्मक उपकरणों को जमा करके रख लिया।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे पास सीधे चीन सरकार के सीमा शुल्क संघ से साक्ष्य हैं जो दिखाते हैं कि जनवरी और फरवरी के महीने में उन्होंने 18 गुना अधिक मास्क खरीदे थे।’ उन्होंने कहा, ‘उनके पास दो अरब से ज्यादा मास्क थे। उन्होंने चश्मे और दस्तानों दोनों के अपने खर्च को बढ़ा दिया।’

चीन की जमाखोरी से भारत, यूरोप में दिक्कत?
नवारो के मुताबिक यूरोप, भारत, ब्राजील और अन्य देशों के पास पर्याप्त पीपीई नहीं है क्योंकि चीन इसकी जमाखोरी कर रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘चीन न सिर्फ इसकी जमाखोरी कर रहा है बल्कि इसे ऊंची कीमतों पर भी बेच रहा है। वे दुनिया को बेशर्मी के साथ अधिक कीमतों पर वापस बेच रहा है।’ नवारो ने कहा कि ऐसी बातों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि कोई भी देश, जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का हिस्सा होने का दावा करता है उसके लिए इस तरह से बर्ताव करना ठीक नहीं है।

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