हिन्दू धर्म में एक परम्परा का पालन आज भी किया जा रहा है और वो है की व्यक्ति की मौत के बाद उसके बिस्तर को दान में दिया जाता है। यह परम्परा बर्षो से चली आ रही है और इसका पालन आज भी किया जा रहा है।
क्यों दान किया जाता है मृत व्यक्ति का बिस्तर –
हम सभी ने देखा है कि जब कोई व्यक्ति गुजर जाता है अर्थात अपने शरीर को त्याग देता है तो उसके बिस्तर कपडे और यहाँ तक की उसकी चारपाई तक को दान में दे दिया जाता है। लेकिन ऐसा क्यों है? क्यों उस मृत व्यक्ति के सामान को घर में नहीं रखा जा सकता?
इसका जवाब है कि मृत व्यक्ति का बिस्तर घर में रखा होने से उससे नकारात्मक ऊर्जा संचालित होने लगती है, जो सीधे मन पर प्रभाव डालती है। आप खुद सोचें कि अगर आप अपने घर में किसी ऐसे व्यक्ति के कपडे बार बार देखें जो मर चूका है या आप उस व्यक्ति के बिस्तर को देखें जिसपर सिर्फ वो सोता था तो क्या आपको अजीब नहीं लगेगा, कमजोर दिल वालों को तो डर तक लगने लगता है। इसी तरह की अन्य नकारात्मक उर्जायें भी घर में वास करने लगती है और घर का माहौल खराब होता है इसीलिए उन्हें दान कर दिया जाता है।
वैज्ञानिक तथ्य और तर्क-
हमारे देश में इतनी सारी परम्पराएं है कि कुछ लोग इन्हें मनगढ़त तक बोल देते है किन्तु सत्य तो यही है कि इन सब परंपराओं के परिणामों को आज विज्ञान तक ने स्वीकार है और माना है कि उनके पीछे के सभी तर्क सही है। ऊपर बताई गयी परंपरा को ना सिर्फ सामाज बल्कि विज्ञान ने भी पुर्णतः सत्य और तार्किक माना है। इससे ये सिद्ध होता है कि कोई भी परंपरा बेवजह नहीं है।
इसके पीछे एक अन्य तर्क ये भी है कि उन बिस्तर से इन्फेक्शन का ख़तरा रहता है किन्तु ये तर्क उसी समय सत्य होता है जब वो मृतक किसी रोग से लम्बे समय तक ग्रस्त रहा हो। ऐसे में जो भी उसके बिस्तर का इस्तेमाल करता है उसे भी उस रोग के कीटाणु अपना शिकार बना सकते है।