हमारे हिन्दू समाज में पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। पूजा के समय भगवान के समक्ष मिष्ठान, मेवे, फलादि रखे हुए होते है और पूजा के होने पर सारी भोग सामग्री को भोग लगाया जाता है जिसके बाद उस भोग को अमृततुल्य माना जाता है।
क्या है भगवान को भोग लगाने का महत्व:
श्रीमद्भगवदगीता के तीसरे अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने वर्णित किया है कि जो व्यक्ति भगवान को भोग लगाएं बिना भोजन ग्रहण करता है उसे अन्न की चोरी का पाप भोगना होता है। ऐसा व्यक्ति उसी प्रकार दंड भोगता हैं जैसे किसी की वस्तु चुराने पर सजा मिलती है।
नहीं तो आती है ये परेशानी:
- शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो जातक भगवान को भोग नहीं लगाते या भोग को भोजन में शामिल नहीं करते वो भगवान के प्रसाद का अनादर करते है और अंत में दर्शन से भी वंचित रहते है।
- ऐसे लोग जो भगवान को भोग लगाए बिना खुद भोजन कर लेते उनका राक्षसी जन्म परैत होता है और जीवनभर कष्टों का सामना करना पड़ता है।
- भोग लगाने के लिए सबसे शुभ ताम्बे की धातु को माना जाता है। ताम्र पात्र को शुभ एवं पवित्र माना जाता है, अतः भगवान को ताम्र पात्र में अर्पण की गई वस्तु प्रिय होती है।
- ईश्वर को भोग लगाते समय उसमे तुलसी दल अवश्य होना चाहिए। यह शुभता की और संकेत करता है।