अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनियां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए एक होने की तैयारी कर रही हैं जिसमें उन्होंने 9 मुस्लिम बाहुल्य देशों की एंट्री पर रोक लगा दी है। सूत्रों के मुताबिक शरणार्थियों और कई देशों के नागरिकों की एंट्री पर रोक वाले फैसले के खिलाफ आईटी कंपनियां कानूनी राह अख्तियार करने पर विचार कर रही हैं।
माना जा रहा है कि आईटी जगत की करीब 20 कंपनियों के बीच बैन के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार करने के लिए मीटिंग हुई है। कंपनियों के मुताबिक ट्रंप के इस आदेश से सिलिकॉन वैली पर ही सबसे ज्यादा असर होना है, जहां बड़ी संख्या में इमिग्रेंट्स काम करते हैं।
इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले टेक सेक्टर के एक कर्मचारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि यह अभी शुरुआती दौर है लेकिन कंपनियों की रणनीति वैसी ही हो सकती है जैसी एप्पल से अमेरिकी सरकार ने आईफोन के लॉक खोलने के लिए डिटेल मांगने के विरोध में अपनाई गई थी।
दिसंबर, 2015 में कैलिफॉर्निया में हुई शूटिंग के घटनास्थल पर एक हमलावर के आईफोन के पाए जाने के बाद एप्पल पर उसके लॉक खोलने के लिए दबाव बनाए जाने का हवाला दिया। आईफोन से जानकारी हासिल करने के लिए एफबीआई ने ऐपल पर लॉक खोलने का दबाव बनाया था।
सूत्र ने बताया कि सरकार के खिलाफ कानूनी विकल्प पर विचार करने के लिए बन रही रणनीति में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट, नेटफ्लिक्स, एयरबीएनबी और ट्विटर जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा एडोबी सिस्टम्स, ड्रॉपबॉक्स, मोजिला, पिनट्रेस्ट, रेडिट, सेल्सफोर्स, स्पेसएक्स और जिंगा जैसी कंपनियां भी इस मुहिम में शामिल बताई जा रही हैं।
एक अन्य सूत्र ने बताया कि वॉशिंगटन स्थित टेक्नॉलजी पॉलिसी एसोसिएशन के कुछ सदस्य भी इसमें शामिल थे। ट्रंप प्रशासन के आदेश का गूगल, ट्विटर, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी तमाम दिग्गज कंपनियों ने विरोध किया है।