न जाने ये कैसी उम्मीद जगी है

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न जाने ये कैसी उम्मीद जगी है,

न जाने कब उसने दिल पे दस्तक दे दी है,

ऐ खुदा बस एक दुआ है तुझसे,

अगर वो है मेरी सच्ची मोहब्बत,

तो रहे हमेशा साथ मेरे…

कुछ अपने दिल वो बताये,

कुछ अपने दिल की हम सुनाएं,

यूं ही साथ उमर कट जाए

है आरज़ू यही कि…

कभी जुदा न हम हों पाएं।

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