पंचामृत ग्रहण करने से पहले जान ले ये नियम

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कृष्ण जन्मास्टमी का त्योहार आने वाला है और इस दिन व्रत रखने वाले लोग रात्रि में चरणामृत लेकर ही व्रत खोलते है। आपने अकसर किसी पूजा में पंचामृत का सेवन ज़रूर किया होगा, लेकिन क्या कभी यह जानने की कोशिश की है कि पंचामृत पूजा में क्यों अहम मानी जाती है। लोग अलग-अलग तरह से पंचामृत देवी देवताओं को ज़रूर अर्पित करते हैं और उसके निर्माण करने की परंपरा भी बहुत खास होती है। जान लें कि मुख्य रूप से श्री हरि की पूजा में पंचामृत का विशेष प्रयोग होता है। वहीं, बिना पंचामृत के श्री हरि या उनके किसी भी अवतारों की पूजा नहीं सफल नहीं हो सकती है। बता दें कि पंचामृत के विशेष प्रयोग से आपकी हर तरह की समस्याएं दूर हो सकती हैं। और क्या है इसे ग्रहण करने के नियम व सावधानियां।

पंचामृत के पांच तत्व
दरअसल, पांच तरह की विशेष चीज़ों को मिलाकर ही पंचामृत का निर्माण किया जाता है और वह चीजें हैं – दूध, दही, मधु, शक्कर और घी।

पंचामृत ग्रहण करने की विधि –

  • ध्यान रहे कि पंचामृत का निर्माण सूर्यास्त के पूर्व ही करना चाहिए।
  • बता दें कि दूध के लिए गाय का दूध प्रयोग करना ज्यादा उत्तम माना जाता है।
  • पंचामृत बन जाने के बाद उसमें तुलसी और गंगाजल भी अवश्य से डालें।
  • वहीं, अगर शालिग्राम है तो उसे पंचामृत में स्नान कराना ना भूलें।
  • अगर शालिग्राम नहीं है तो पंचामृत में एक चांदी का सिक्का डालें और भाव लें की इसके माध्यम से श्री हरि को स्नान करा रहे हैं।
  • अब भगवान श्री हरि को सच्चे मन से स्मरण करें और पंचामृत को ग्रहण करें।

पंचामृत ग्रहण करने के खास 3 नियम

  • पंचामृत हमेशा दोनों हाथों से ही ग्रहण करें।
  • पंचामृत को भूलकर भी भूमि पर न गिरने दें।
  • पंचामृत को ग्रहण करने के बाद दोनों हाथों से शिखा को स्पर्श भी ज़रूर से करें।
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