दिल्ली में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुषमा स्वराज की जिंदगी के अनछुए पहलुओं को दुनिया के सामने रखा. पीएम मोदी ने कहा कि सुषमा स्वराज कृष्ण भक्ति को समर्पित थीं, कृष्ण उनके मन मंदिर में बसे रहते थे. प्रधानमंत्री ने सुषमा स्वराज के आध्यात्मिक पक्ष की चर्चा करते हुए कहा कि कृष्ण का संदेश वो जीती थीं. पीएम ने कहा, “हम जब भी मिलते थे वो जय श्री कृष्ण कहती थीं, मैं उन्हें जय द्वारकाधीश कहता था. लेकिन कृष्ण का संदेश वो जीती थीं. अगर उनकी जीवन यात्रा को देखें तो लगता है कि कर्मण्येवाधिकारस्तु…क्या होता है सुषमा जी ने इसे दिखाया है.”
पीएम ने कहा कि जीवन की विशेषता देखिए सुषमा स्वराज ने सैकड़ों फोरम पर कई घंटे तक जम्मू-कश्मीर और धारा-370 पर बोला होगा, एक तरह से वो इस मुद्दे से जी-जान से जुड़ी थीं. जब जीवन का इतना बड़ा सपना पूरा हो, लक्ष्य पूरा हो और खुशी समाती न हो…सुषमा जी के जाने के बाद जब मैं बांसुरी से मिला तो उन्होंने कहा कि इतनी खुशी-खुशी वो गई हैं जिसकी शायद कोई कल्पना ही कर सकता है. इस खुशी के पल को जीते-जीते वे श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गईं.”
इससे पहले नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुषमा स्वराज का भाषण प्रभावी होने के साथ-साथ, प्रेरक भी होता था. नरेंद्र मोदी ने सुषमा स्वराज की ओजस्वी भाषण शैली को याद करते हुए कहा, “सुषमा जी के वक्तव्य में विचारों की गहराई हर कोई अनुभव करता था, तो अनुभव की ऊंचाई भी हर पल नए मानक पार करती थी. ये दोनों होना एक साधना के बाद ही हो सकता है.”
पीएम मोदी ने कहा सुषमा जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे, जीवन के अनेक पड़ाव थे और भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में एक अनन्य निकट साथी के रूप में काम करते हुए, वे असंख्य घटनाओं के जीवंत साक्षी रहे हैं. सुषमा स्वराज की खासियत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यवस्था के अंतर्गत जो भी काम मिले, उसे जी जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में बड़ी ऊंचाई मिलने के बाद भी करना, ये बीजेपी के कार्यकर्ताओं के लिए सुषमा जी की बहुत बड़ी प्रेरणा है.