नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र का आगाज आज से होने जा रहा है। इस दौरान केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवाकर (GST) बिल पास कराने की संभावना को लेकर आशावादी रुख अपनाए नजर आ रही है। रविवार को दोनों सदनों का कामकाज सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने सकारात्मक सहयोग का आश्वासन दिया। बैठक में बिल पर कांग्रेस की तरफ से भी नरमी देखने को मिली और पार्टी ने कहा कि विधेयकों को पारित करने में कांग्रेस बाधक नहीं बनेगी।
पार्टी गुणों के आधार पर विधेयकों पर अपना रुख तय करेगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी विधेयकों का समर्थन राष्ट्र और जनता के हित तथा देश के विकास को देखते हुए करेगी। वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो इस बार कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरने का एक भी मौका गवाएगी नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मुलाकात के बाद उन मुद्दों की फेहरिस्त तैयार है जिसके जरिए मानसून सत्र में सरकार को घेरा जा सके। इस बार सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर हिंसा का होगा जिसपर विपक्ष सरकार से जवाब मांगेगी, वहीं इसके अलावा अरुणाचल और उत्तराखंड में केंद्र और राज्यपाल की भूमिका पर भी कांग्रेस सरकार से जवाब मांगेगी।
मानसून सत्र पर मोदी का बयान
मानसूत्र सत्र में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में पहुंच गए हैं। मीडिया से रू-ब-रू होते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र 15 अगस्त आजादी के 70वें साल का अहम पड़ाव है। उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि मौजूदा संसद सत्र में अच्छी चर्चा हो। मोदी ने कहा कि इस बार देश को नई दिशा देने पर काम हो।