मुसीबत के साये में मैं हँसता-हँसाता हूँ

0

मुसीबत के साये में मैं हँसता-हँसाता हूँ,

ग़मों से उलझ कर भी मैं मुस्कराता हूँ,

हाथों में मुकद्दर की लकीरें है नहीं लेकिन,

मैं तो अपना मुकद्दर खुद बनाता हूँ।

Previous article6 नवम्बर 2017 मंगलवार, पंचांग एवं शुभ – अशुभ मुहूर्त
Next article10वीं पास के लिए सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा मौका,जल्द करे आवेदन