ज्योतिष शास्त्र में रत्न से जुडी बहुत सारी बाते बताई गयी हैं। वैसे तो रत्न पहनने के फायदे भी है तो इसको पहनने से नुकसान भी होते है। जब कभी आप रत्न धारण करते हैं तो आपके मन में यह सवाल ज़रूर आते होंगे कि ऐसा क्या करें ताकि रत्न आपको शुभ फल प्रदान करें?… रत्न कब बदलें… क्या रत्नों को दूध में डालकर रखना चाहिए या नहीं…देखा जाए तो रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं।बता दें कि रत्नों का आपके जीवन पर कैसा असर होगा, यह इस बात पर भी निर्भर बहुत करता है कि आपने उसे कैसे, किस दिन और किस समय में पहना है?
- जो भी रत्न आप पहनने जा रहे हैं उन्हें भूल कर भी दूध में ना डालें। अंगूठी को सिर्फ जल से एक बार धोएं और पहन लें। गलती से भी अपने रत्न को दूध में डालकर रात भर के लिए ना रख दें। कई रत्न दूध को सोख लेते हैं और साथ ही दूध के कण रत्नों में समा कर रत्न को विकृत भी कर देते हैं। वहीं अपने मन की संतुष्टि के लिए आप अपने ईष्ट देवी की मूर्ति से स्पर्श कर लें और फिर उसे धारण कर लें।
- रत्न धारण करने जा रहें हैं तो सबसे पहले यह देख लें कि कहीं तारीख 4, 9 और 14 तो नहीं है। कहते हैं कि इन तारीखों को रत्न धारण नहीं करना चाहिए। इस बात का भी खास ध्यान रखें कि जिस दिन रत्न धारण करें उस दिन गोचर का चंद्रमा आपकी राशि से 4,8,12 में ना हो। यही नहीं, अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न धारण करने से बचें।
- याद रहें कि रत्न हमेशा दोपहर से पहले, सुबह सूर्य की ओर मुख करके धारण करना चाहिए।
- मोति, मूंगा जो समुद्र से उत्पन्न रत्न माने जाते हैं, यदि इन्हें रेवती, अश्विनी, रोहिणी, चित्रा, स्वाति और विशाखा नक्षत्र में धारण करेंगे तो शुभ माना जाएगा। वहीं जो महिलाएं सुहागिन है उन्हें रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र में रत्न धारण नहीं करना चाहिए। बता दें कि यह रेवती, अश्विनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र में रत्न धारण करें, तो विशेष लाभ होता है।