लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिये न्यायाधीश के खाली पद पर नियुक्ति की जाये

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने न्यायालयों में लंबित प्रकरणों पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायाधीशों के खाली पदों पर शीघ्र नियुक्ति करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आम जनता को शीघ्र और सुलभ न्याय मिले, इसके लिये न्यायिक सेवाओं का सुदृढ़ीकरण किया गया है। श्री चौहान आज नई दिल्ली में विज्ञान भवन में मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस मौके पर केन्द्रीय विधि मंत्री श्री सदानंद गौड़ा, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री टी.एस. ठाकुर भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सुझाव दिया कि हर राज्य का उच्च न्यायालय लंबित मुकदमों के आधार पर न्यायालयों में न्यायाधीशों की सामान्य नियुक्तियों के अलावा वास्तविक आँकलन कर अपनी जरूरत के हिसाब से न्यायपालिक सेवाओं के पदों में वृद्धि और उसी अनुपात में अधोसंरचना विकसित कर सके। श्री चौहान ने मुख्य न्यायाधीश श्री टी.एस. ठाकुर से हुई बिन्दुवार चर्चा के दौरान उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों का समर्थन किया और न्यायपालिका की कार्य-प्रणाली में सुधार और समय पर न्याय मिले, इस संबंध में सुझाव दिये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश सरकार लोगों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिये कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि न्यायिक सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिये न्यायिक अधिकारियों की संख्या दोगुनी कर दी गयी है। न्यायिक सेवा के 231 और सिविल जज के 325 पद के लिये सैद्धांतिक सहमति दी गयी है। उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों के लिये तकनीकी पद के साथ प्रशासनिक एवं गैर-प्रशासनिक क्षेत्र को भी सुदृढ़ बनाया गया है। इंदौर, रीवा और जबलपुर में नवीन न्यायालय भवन बनाये जा रहे हैं। न्यायिक अधिकारियों के आवास-गृह निर्माण, रख-रखाव, बहु-मंजिला कंडोमोनियम निर्माण के प्रस्ताव भी भेजे गये हैं। जुवेनाइल कोर्ट की हर जिले में स्थापना की गयी है और जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक दल गठित किया गया है। यह दल सुनिश्चित करता है कि किसी भी बच्चे के साथ कोई अन्याय न हो। उन्हें भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सुविधाएँ भी मुहैया करवायी जा रही हैं। श्री चौहान ने इसे कानूनी स्वरूप दिये जाने की वकालत की।

श्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बेहतर काम कर रहा है। न्यायालय का सारा काम कम्प्यूटरीकृत हो गया है और बाबू राज की समाप्ति हो गयी है। न्यायालय पोर्टल के जरिये प्रार्थी विचाराधीन मामले की पूरी स्थिति कम्प्यूटर पर देख सकता है। इससे न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता आयी है और कार्य की गति भी बढ़ी है।

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