शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर, मनोकामनाएं पूर्ण होने पर चढ़ाए जाते हैं घोड़े

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चैत्र मास के नवरात्रे शुरु हैं। नवरात्रि में माता के हर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भद्रकाली देवीकूप मंदिर स्थित है। मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर में सती माता का दायां टखना गिरा था और यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है। मन्नत पूरी होने पर यहां श्रद्धालु माता को सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।

भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है। जब भगवान शिव सती के मृत देह को लेकर ब्राह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई हिस्सों में बांट दिया। जहां-जहां पर देवी सती के अंग गिरे वहां-वहां पर शक्तिपीठ स्थापित हुए। मां भद्रकाली देवीकूप में सती माता का दायां टखना गिरा था। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का यहां मुंडन संस्कार भी करवाया गया था।

इस मंदिर का संबंध महाभारत से भी माना जाता है। महाभारत के युद्ध से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मां भद्रकाली की पूजा करने को कहा था। अर्जुन ने कहा था कि युद्ध में विजय के बाद मैं यहां पर घोड़े चढ़ाने आऊंगा। युद्ध जीतने के बाद अर्जुन ने माता को अपने श्रेष्ठ घोड़े अर्पित किए थे। तभी से मान्यता पूर्ण होने पर यहां श्रद्धालु सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं। चैत्र नवरात्रों में यहां मेला लगता है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां मन्नतें मांगने आते हैं।

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