महाशिव रात्रि का पर्व आनेवाला है। और हिन्दू धर्म में यह बहुत ही बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी ही बिस्तर छोड़कर नहाधोकर भगवान शिव की आराधना करने के लिए मंदिरो में जाते है। बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं। अत: निषिद्ध समय से पहले दिन का रखा बिल्व पत्र ही चढ़ाना चाहिए।गृहामि तव पत्रणि श्पिूजार्थमादरात्। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोडऩे चाहिए।
बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अत: चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
दूर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर और बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए। दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।