संविधान के अनुरूप विकास के लिये बेहतर विधि शिक्षा की व्यापकता जरूरी : प्रधान न्यायाधीश श्री मिश्रा

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भारत के प्रधान न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने कहा है कि सुदृढ़ लोकतंत्र, सुशासन और कानून सम्मत शासन व्यवस्था के लिये शिक्षा आवश्यक है। देश में संविधान के अनुरूप विकास हेतु कानून की बेहतर शिक्षा को व्यापक स्वरूप दिया जाना चाहिए। श्री मिश्रा जबलपुर में धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के भवन के शिलान्यास और विश्वविद्यालय के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे।

प्रधान न्यायाधीश श्री मिश्रा ने न्यायपालिका की भूमिका पर कहा कि संसद-विधानसभा, कार्यपालिका कानून बनाती हैं। न्यायपालिका कानून की उचित व्याख्या कर न्याय प्रदान करती है। न्याय का महत्वपूर्ण कार्य विद्वान वकीलों के सहयोग से ही संभव हो पाता है। कानून के उचित और न्यायसंगत क्रियान्वयन में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और अच्छे वकील लॉ स्कूल बनाते हैं। इसलिये लॉ स्कूल, लॉ विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका है। विद्वान वकीलों के माध्यम से ही निष्पक्ष और सुलभ न्याय मिलता है।

प्रधान न्यायाधीश श्री मिश्रा ने विधि विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि वे निष्ठा, समर्पण और विश्वास के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। विगत वर्षों में अनेक नये तथ्य और अवधारणायें विधि के क्षेत्र में आयी हैं। विधि शिक्षा में इनको शामिल किया जाना चाहिये। विधि शिक्षा और न्यायालयीन व्यवस्था में अनुशासन परिलक्षित होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कानून का ज्ञान, न्याय को त्वरित और सुलभ बनाता है। उन्होंने अपेक्षा की कि दुराचारियों को शीघ्र दण्डित करने सुप्रीम कोर्ट तक फास्ट ट्रैक न्यायालय स्थापित होने चाहिये। श्री चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना से अधिवक्ताओं, नागरिकों और राज्य सरकार का संकल्प पूरा हो रहा है। अब देश में जबलपुर की पहचान संस्कारधानी के साथ न्यायधानी के रूप में भी स्थापित होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ित मानवता को सेवा और त्वरित न्याय की आवश्यकता होती है। हमारे न्यायालयों ने इस दिशा में तेजी से प्रयास किये हैं। उन्होंने मंदसौर में गत दिनों हुई शर्मनाक घटना का दु:ख के साथ उल्लेख करते हुए कहा कि बालिका से बलात्कार करने वाले अपराधियों को फास्ट ट्रैक न्यायालयों के माध्यम से शीघ्र ही कठोर दण्ड मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए समय-समय पर जरूरी मदद करती रहेगी। धन की कभी कोई कमी नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय से निश्चित रूप से संस्कारित, ईमानदार, चरित्रवान छात्र अध्ययन पूरा करेंगे और न्याय का संकल्प पूर्ण होगा। उन्होंने कहा सरकार का कार्य आम जन को न्याय दिलाना भी है।

केन्द्रीय विधि एवं कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जबलपुर संस्कारधानी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना गौरव की बात है। भारत दुनिया में एक सशक्त देश बनकर उभर रहा है। यहाँ सूचना प्रौद्योगिकी और कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हो रहे हैं। श्री प्रसाद ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में टेली-लॉ की व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट में जजों के रिक्त पदों की पूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से 122 करोड़ व्यक्ति आधार से जुड़े हैं और 121 करोड़ मोबाइलधारक हैं। तकनीकी और प्रौद्योगिकी के माध्यम से जनता के हाथ में गुड गवर्नेंस आना चाहिये। मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी में बाहर निकालना बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिये उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सराहना की।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री हेमन्त गुप्ता ने कहा कि जबलपुर में नेशनल लॉ विश्वविद्यालय की स्थापना न्यायोचित है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का आभार माना कि उनके प्रयास से लॉ विश्वविद्यालय की स्थापना बिना किसी रूकावट के जल्दी संभव हो सकी है।

विश्वविद्यालय भवन के भूमि-पूजन समारोह के बाद अतिथियों ने भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर दूरसंचार प्रशिक्षण संस्थान में धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की वेबसाइट का लोकार्पण किया। स्वागत भाषण नेशनल लॉ विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रोफेसर बलराज चौहान ने दिया। आभार प्रदर्शन मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री आर.एस. झा ने किया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री जस्टिस हेमंत गुप्ता एवं पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री जस्टिस राजेन्द्र मेनन एवं महाधिवक्ता श्री पुरूषेन्द्र कौरव भी मौजूद थे।

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