उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार (10 फरवरी) को भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी से कहा कि वह 2006 में एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिये एफआईपीबी की मंजूरी देने में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा कथित रूप से अवैध तरीका अपनाए जाने के आरोप की पुष्टि के लिए ‘ठोस सामग्री’ लायें। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय चाई चंद्रचूड की खंडपीठ के समक्ष स्वामी ने दलील दी कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने इस सौदे को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी दी थी जबकि उसे उस समय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के पास भेजा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 600 करोड़ रुपए से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक (एफडीआई) के प्रस्तवों को मंजूरी देने का अधिकार सिर्फ आर्थिक मामलों की समिति को ही था।
इस पर, न्यायालय ने स्वामी से कहा कि इन आरोपों के बारे में उन्हें ठोस सामग्री प्राप्त करके पेश करनी होगी। स्वामी ने दावा किया यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपए का था। इसके लिए एफआईपीबी मंजूरी तत्कालीन वित्त मंत्री ने दी जबकि इसके 600 करोड़ रुपए की सीमा से काफी ऊंचा होने के नाते इसे आर्थिक मामलों की समिति को मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए था। इस पर पीठ ने जानना चाहा कि हमारे पास क्या सामग्री है। वित्त मंत्री तो रोजना दो सौ फाइलें देखते हैं। हालांकि स्वामी ने तर्क दिया कि वित्त मंत्री होने के नाते चिदंबरम को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी और ‘कोई भी वित्त मंत्री यह नहीं कह सकता कि मुझे इसकी जानकारी नहीं थी।’
पीठ ने कहा, ‘आप हमे कुछ तो सामग्री दिखायें जिससे संकेत मिलता हो कि उन्हें इसकी जानकारी थी।’ स्वामी ने एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दाखिल आरोप पत्र का हवाला देते हुये कहा कि वित्त मंत्री 600 करोड़ रुपए तक की मंजूरी दे सकते थे। चूंकि इस मामले में 3500 करोड़ रुपए का लेने शामिल था, इसे मंजूरी देने के लिये सिर्फ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ही सक्षम थी। स्वामी ने दावा किया, ‘उन्होंने (चिदंबरम) ने इसे मंजूरी दी। उन्होंने ही इस पर दस्तखत किये।’
इस पर पीठ ने कहा कि इस समय तक आपको हमे संतुष्ट करना होगा कि इस मामले में ठोस सामग्री है और हम तभी नोटिस जारी करेंगे जब हम संतुष्ट होंगे। पीठ ने स्वामी ने अपने आरोपों के समर्थन में सामग्री दाखिल करने के लिये दो सप्ताह का वक्त देते हुये कहा कि इस पर दो सप्ताह बात सुनवाई की जायेगी। हाल ही में एक विशेष अदरालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन और उनके उद्योगपति भाई कलानिधि मारन और अन्य को एयरसेल-मैक्सिस सौदा से संबंधित धन शोधन के मामले में आरोप मुक्त कर दिया था। इन सभी के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप पत्र दाखिल किया था।