मुबंई। बॉम्बे हाइकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए हाजी अली में महिलाओं के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया है। अपने आदेश में कोर्ट ने महिलाओं को हाजी अली दरगाह में मजार के भीतर तक जाने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट के निर्णय पर खुशी जताते हुए याचिकाकर्ता जकिया सोमन ने कहा, “बुहत खुशी की बात है, यह मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है।” वहीं याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने कोर्ट के निर्णय पर कहा कि हाइकोर्ट ने पाया कि महिलाओं पर प्रतिबंध असंवैधानिक था। दरगाह ट्रस्ट का कहना है कि वे इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
वहीं हाजी अली में कई बार प्रवेश करने की कोशिश कर चुकी तृप्ति देसाई ने कोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, हम हाइकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं। यह महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत है।”
आपको बता दें कि, इससे पहले महिलाएं सिर्फ़ दरगाह के बाहर तक ही जा पाती थीं और उन्हें मज़ार तक जाने की अनुमति नहीं थी। इसके ख़िलाफ़ महिला अधिकार कार्यकर्ता नूरजहां नियाज तथा जकिया सोमन और एनजीओ भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 1865 से 2012 के बीच सूफी संत सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी के मजार तक महिलाओं को जाने की अनुमति थी। लेकिन बाद में रोक लगा दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने इसे लैंगिक भेदभाव और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दरगाह ट्रस्टी से बातचीत कर शांतिपूर्ण तरीके से इसका हल निकालने की सलाह दी थी लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो पाया था क्योंकि दरगाह ट्रस्टी ने अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा था कि इसकी अनुमति देना इस्लाम विरोधी होगा।