नई दिल्ली। सरकारी बैंकों से अरबों रुपए का कर्जा लेकर उद्योगपति विजय माल्या के देश से बाहर चले जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए प्रश्न किया कि माल्या जी देश का 9000 करोड़ रुपए लेकर देश से बाहर कैसे चले गए। राहुल ने कहा कि इस मुद्दे पर न तो पीएम मोदी और न ही वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कोई उत्तर दिया।
विपक्ष ने किया हंगामा
संसद में प्रश्नकाल शुरु होते ही कांग्रेस तथा अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने हंगामा करना शुरु कर दिया। हंगामे ने बीच ही कांग्रेस तथा असम्बद्ध सदस्य पप्पू यादव ने विजय माल्या का मामला उठाया। राहुल गांधी ने प्रश्न करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री तथा वित्तमंत्री दोनों ने सदन में भाषण दिया लेकिन फेयर एंड लवली स्कीम पर एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। राहुल ने कहा कि दोनों ने ही काले धन के मुद्दे पर जो वादे किए थे, उन्हें भी पूरा नहीं किया।
जेटली ने दिया जवाब, माल्या के खिलाफ लुक आउट नोटिस नहीं था
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि माल्या के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जाएगी लेकिन पहले बैंकों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने दीजिए। यदि बैंक जरूरी कार्रवाई करने में असफल होते हैं तो फिर इस दिशा में सरकार कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि जिस स्थिति में माल्या बाहर गए हैं उन्हें आव्रजन विभाग उस स्तर पर रोक नहीं सकता था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अच्छा होता कि माल्या के खिलाफ 2007 अथवा 2010 में ही कार्रवाई शुरू कर दी गई होती।
कांग्रेस की सरकार ने दिया था माल्या को 9000 करोड़ का ऋण
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े के विजय माल्या ने प्रश्न उठाया कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार एवं काले धन पर बड़े बड़े वादे करके सत्ता में आयी है तो फिर 9900 करोड़ रुपये का बकायादार उसी सरकार की आंख के सामने से कैसे विदेश भाग गया। जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने माल्या के लिये एक सतर्कता नोटिस जारी किया था तो फिर 72 पारगमन द्वारों पर कोई सूचना क्यों नहीं दी गयी और सरकार माल्या को रोकने में कामयाब क्यों नहीं रही।
खडग़े के प्रश्न का उत्तर देते हुए जेटली ने कहा कि विजय माल्या को पहली बार सितंबर 2004 को ऋण दिया गया था और दूसरी बार फरवरी 2008 में। जबकि उसके खातों को गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में 13 अप्रैल 2009 में अधिसूचित किया गया। उसके ऋण का 21 दिसंबर 2010 को पुनर्गठन किया गया था। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर 2015 की गणना के अनुसार उस पर ब्याज सहित कुल 9991.40 करोड़ रुपये बकाया हैं। बैंकों के कंसोर्शियम ने माल्या के विरुद्ध कदम उठाए हैं। उसकी परिसंपत्तियों को जब्त किया जा रहा है। उसके खिलाफ केस दायर किए गए है