किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं, आंदोलनजीवी इसे अपवित्र कर रहे-पीएम मोदी

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पीएम मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान उठे मुद्दों का जवाब दे रहे हैं. इससे पहले उन्होंने राज्यसभा में हुए अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया था. पीएम मोदी लोकसभा में पहुंच चुके हैं.

संसद में पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन में 15 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई है. रात के 12-12 बजे तक चर्चा हुई है. मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं. महिला सांसदों का विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत आजादी के 75वें वर्ष पर दस्तक दे रहा है. आजादी का 75वां वर्ष हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है. समाज व्यवस्था में हम कहीं पर हों देश के किसी कोने में हों. हम सब ने मिलकर के आजादी के इस पर्व से एक नई प्रेरणा प्राप्त करके 2047 जब देश आजादी के 100 साल पूरा कर रहे होंगे तो हमारा देश कहां हो इसके लिए संकल्प लेने का काम इस परिसर का है.

पीएम मोदी बोले- हम विश्व के लिए एक आशा की किरण बनकर खड़े हैं
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अंग्रेज कहा करते थे कि भारत कई देशों का एक द्वीप है और कोई भी इसे एक नहीं कर सकता है. लेकिन आज 75 साल की यात्रा में हम विश्व के लिए एक आशा की किरण बनकर खड़े हैं.

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के दौरान भारत ने जिस प्रकार से अपने आप को संभाला और दुनिया को संभलने में मदद की वो एक प्रकार से टर्निंग प्वाइंट है. जिस भावनाओं को लेकर हम पले बढ़े हैं वो है सर्वेभन्तु निरामया, कोरोना काल में भारत ने इसको करके दिखाया है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि पोस्ट कोरोना के बाद दुनिया में एक नया संबंधों का वातावरण आकार लेगा. ऐसी स्थिति में भारत एक कोने में कटकर नहीं रह सकता. हमें एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरकर निकलना होगा. भारत को सशक्त होना होगा और इसका एकमात्र रास्ता है आत्मनिर्भर भारत.

चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कोरोना से जीतने का क्रेडिट देश की जनता को दिया साथ ही साथ डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और सफाई कर्मियों की जमकर तारीफ की.

पीएम मोदी ने संसद में कहा कि सच्ची कसौटी तब होती है जब संकट होता है. कई देशों ने लोगों को पैसे दिए ताकि उनकी मदद हो सके. देश पैसों का ढेर होने के बाद भी लोगों तक पैसा नहीं पहुंचा पाए. लेकिन ये भारत है जो कोरोना काल में 75 करोड़ भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है. यही भारत है जिसने जन-धन, आधार और मोबाइल के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपया इस कालखंड में लोगों तक पहुंचा दिया. और दुर्भाग्य देखिए कि ये आधार, मोबाइल और जनधन अकाउंट इतना करीब से काम आया लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग कोर्ट गए थे कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा रहे थे.

पीएम मोदी ने कहा कि इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा और हम इस इरादे से चले कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हमें कुछ कठोर कदम उठाने पड़ेंगे. और इसका परिणाम है कि आज ट्रैक्टर हो या गाड़ियों हों रिकॉर्ड सेल हो रहा है, जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हो रहा है. ये सारे आंकड़े हमारी अर्थव्यवस्था में जोश भर रहे हैं. ये दिखा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उभर रही है. दुनिया के लोगों ने अनुमान लगाया है कि दो डिजिट का ग्रोथ अवश्य होगा. मुझे उम्मीद है कि इस संकट के बाद भी मुसीबतों के बीच भी देश अपेक्षा के अनुरूप प्रगति करेगा.

कृषि कानूनों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस कोरोना काल में तीन कृषि कानून भी लाए गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक है महत्वपूर्ण है और वर्षों से हमारा कृषि क्षेत्र जो दबाव महसूस कर रहा है उसके लिए हमने प्रयास किया है. यहां पर जो चर्चा हुई विशेषकर कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की उसमें कानून के कलर पर तो बहुत चर्चा हुई कि ब्लैक है कि व्हाइट है अच्छा होता उसके कंटेंट पर चर्चा करते अच्छा होता कि उसके इंटेंट पर चर्चा करते ताकि देश के किसानों तक सही चीज पहुंच सकती.

पीएम मोदी के कांग्रेस पर निशाना साधने के साथ ही कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने हंगामा किया. उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की और कहा कि काले कानून वापस लो.

पीएम मोदी ने कहा कि आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का ये सदन भी और ये सरकार भी आदर करती है और आदर करती रहेगी. इसीलिए सरकार के वरिष्ठ मंत्री जब ये आंदोलन पंजाब में था तब भी और बाद में भी लगातार बात कर रहे हैं. इस बीच विपक्ष लगातार हंगामा करता रहा.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अगर कानून में कोई बदलाव करना होगा तो करेंगे. कानूनों के हर पहलूओं पर चर्चा की गई थी. पीएम मोदी ने कहा कि ये हो-हल्ला एक सोची समझी रणनीति के तहत है. जो हो-हल्ला बाहर चल रहा है वही अंदर हो रहा है. सच को रोकने के लिए ये लोग हो-हल्ला कर रहे हैं. इन्हें झूठ-अफवाह का पर्दाफाश होने का डर है. लेकिन इससे ये लोग किसी का विश्वास नहीं जीत पाएंगे. संबोधन के बीच विपक्षी की तरफ से लगातार हो रही टोकाटोकी से नाराज पीएम मोदी ने कहा कि अधीर रंजन जी अब ज्यादा हो रहा है.

पीएम मोदी ने कहा कि नया कानून किसी के लिए बंधन नहीं है. जहां विकल्प है वहां विरोध की जरूरत नहीं. आंदोलनजीवी जो हुआ नहीं है उसका भी भय पैदा कर रहे हैं. ये सरकार की चिंता का विषय नहीं ये देश की चिंता का विषय होना चाहिए. कांग्रेस और कुछ दलों ने बड़े जोर-शोर से अपनी बातें कहीं. दहेज के खिलाफ कानून की मांग किसी ने नहीं की थी, ट्रिपल तलाक पर कानून की किसी ने नहीं की थी. बाल विवाह, शिक्षा पर अधिकार बिना मांग के दिए गए. इतने सुधार हुए जनता ने सभी बदलावों को स्वीकार किया या नहीं किया ये सभी जानते हैं.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर किए कई प्रहार
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम ये मानते थे कि हिंदुस्तान की बहुत पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी जिसने करीब-करीब 6 दशक तक एकचक्रीय शासन किया इस पार्टी का ये हाल हो गया है कि पार्टी का राज्यसभा का तबका एकतरफ चलता है और पार्टी का लोकसभा का तबका एकतरफ चलता है. ऐसी डिवाइडेड पार्टी, ऐसी कंफ्यूज पार्टी न खुद का भला कर सकती है देश की समस्याओं के समाधान को लेकर कुछ सोच सकती है. कांग्रेस पार्टी राज्यसभा में भी है. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्यसभा में बैठे हुए हैं. लेकिन वो बहुत ही आनंद और उमंग के साथ चर्चा करते हैं. और यही कांग्रेस पार्टी का दूसरा तबका है. कांग्रेस पर पीएम मोदी के लगातार हमलों की वजह से नाराज कांग्रेस ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब ये कहा जाता है कि मांगा गया था क्या, क्या हम सामंतशाही हैं जो जनता को मांगने के लिए मजबूर करें… ये मांगने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है. सरकारें संवेदनशील होनी चाहिए. जनता के भलाई के लिए सरकार को आगे आना चाहिए. जनता ने आयुष्मान भारत योजना नहीं मांगी थी, बैंक अकाउंट के लिए कोई जुलूस नहीं निकला था, स्वच्छ भारत की मांग किसने की थी, किसने अपने घर में शौचालय की मांग की थी. मांगने वाला वक्त चला गया ये लोकतंत्र है, हम नागरिकों को याचक बनाकर उनका आत्मविश्वास नहीं बढ़ा सकते हैं.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आजादी के बाद हमारे देश में 28 प्रतिशत खेतहर मजदूर थे. 10 साल पहले जो जनगणना हुई तो ये संख्या 55 प्रतिशत हो गई. ये किसी भी देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. इस देश के छोटे किसान को कुछ पैसे मिले इसकी किसी भी किसान संगठन ने मांग नहीं की थी. लेकिन प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनको हमने सामने से धन देना शुरू किया. हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. हमारा किसान सिर्फ गेहूं – चावल तक सीमित न रहकर, दुनिया में जो आवश्यकता है, उसका उत्पादन करके बेचे.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हिंदुस्तान इतना बड़ा देश है, कोई भी निर्णय शत प्रतिशत सबको स्वीकार्य हो ऐसा संभव ही नहीं हो सकता. ये देश विविधताओं से भरा हुआ है, किसी जगह वो बहुत लाभ करता होगा और किसी जगह कम लाभ करता होगा.

चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने सरदार पटेल की याद दिलाते हुए कहा कि सरदार पटेल कहते थे कि “स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती” जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम प्रोगेसिव पॉलिटिक्स में विश्वास करते हैं. भोजपुरी में कहावत है कि न खेलब न खेले देब खेल बिगाड़ब…

पीएम ने कहा कि देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है. जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है. देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है. आज मानवता के काम देश आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है. आज गरीब से गरीब परिवार तक स्मार्टफोन पहुंच रहा है. आज हिंदुस्तान में सबसे सस्ता डेटा है. क्या भारत के सभी वैक्सीन निर्माता सरकारी हैं क्या. हम किसी भी प्राइवेटाइजेशन को नकार देंगे तो गलत होगा. हर किसी को अवसर मिलना चाहिए. किसी को गाली देना और बेईमान कह देना गलत होता है. सबकुछ बाबू करेंगे क्या, बाबुओं को ताकत देकर हम क्या करेंगे. युवाओं को जितनी ताकत देंगे उसका उतना ही फायदा होने वाला है. आशंकाओं को हवा दी जाती है. माहौल ये आंदोलनजीवी पैदा करते हैं.

पीएम ने आगे कहा कि मैं किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए निकलते हैं तो आंदोलन की पवित्रता नष्ट करते हैं. आंदोलनजीवी देश को गुमराह कर रहे हैं. देश को ऐसे आंदोलनजीवीयों की पहचान करना जरूरी है. देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बीच फर्क करना बहुत जरूरी है.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है उनकी एक पहचान है – Talking the right things यानी हमेशा सही बात बोलना, सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं है. लेकिन इस वर्ग को ऐसे लोगों से नफरत और चिढ़ है जो doing the right things पर चलते हैं. ये फर्क समझने वाली बात है. ये चीजों को सिर्फ बोलने में विश्वास रखते हैं. अच्छा करने में उनको भरोसा ही नहीं है.

सेना के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब भी देश के सामने कोई चुनौती आती है तो हमारे सुरक्षा बलों का सामर्थ्य है कि वो देश को कभी नीचे देखने नहीं देते. उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिलती है उसे वो बखूबी निभाते हैं. हमें सेना पर, वीर सैनिकों पर और उनकी सामर्थ्य पर गर्व है.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि मैंने कभी एक गजल सुनी थी मेरी इसमें ज्यादा रुचि तो नहीं है लेकिन उसमें लिखा था मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूं उसे वो गजल आपको सुनाता हूं… कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि ये जो हाथी चले गए वो जिन चीजों के अंदर जीते हैं पलते हैं वो वही सुनाते रहते हैं जो उनके कालखंडों में उन्होंने देखा है उसी को वे कहते रहते हैं.

अंत में पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक बार देश के किसानों से फिर अपील करता हूं कि आइए टेबल पर बैठकर मिलकर समस्याओं का समाधान करें. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए अपने संबोधन को विराम दिया.

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