मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जो एक जीर्ण विकार है. जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं. मिर्गी की मुख्य पहचान बार-बार अकारण दौरे पड़ना है. इन दौरों की विशेष बात यह होती है कि रोगी को इसके बारे में कुछ भी याद नहीं रहता है. मिर्गी मस्तिष्क संबंधी चौथा सबसे आम विकार है और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. यह विकार अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकता है.
मिर्गी से पीड़ित कई लोगों को एक से अधिक प्रकार के दौरे पड़ते है और साथ ही मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं. मानव मस्तिष्क का विकार ही मिर्गी का स्रोत है. एक दौरे के लक्षण शरीर के किसी भी हिस्से को जैसे चेहरे, हाथ या पैर को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन इसके लक्षण पैदा मस्तिष्क में ही होते हैं.
मस्तिष्क के किस भाग में असामान्य रूप से विद्युतीय तरंग का संचार होने की वजह से दौरा पड़ा और मस्तिष्क का कितना हिस्सा प्रभावित हुआ और कितने समय के लिए, यह सारे कारक दौरे के प्रकार और एक व्यक्ति पर इसके प्रभाव का निर्धारण करते हैं. इसलिये ही मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे नहीं होते. अलग-अलग रोगियों में इसके लक्षण भी भिन्न होते हैं.
जब मस्तिष्क में असामान्य रूप से विद्युतीय तंरगों का संचार होने लगता है तो व्यक्ति को विशेष प्रकार के झटके लगते हैं और वह बेहोश हो जाता है. इस प्रकार के मिर्गी के दौरे में बेहोशी की अवधि चंद सेकंड से लेकर पांच मिनट तक की हो सकती है. मिर्गी का दौरा समाप्त होते ही व्यक्ति सामान्य हो जाता है.
मिर्गी के दौरे मस्तिष्क की चोट या परिवार की प्रवृत्ति से संबंधित हो सकतें हैं, लेकिन अक्सर इसका कारण पूरी तरह से पता नहीं होता है. अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं. जन्म के समय बच्चे के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने, मस्तिष्क में चोट लगने, ब्रेन ट्यूमर, मेनिनजाइटिस और जापानी बुखार यानि इंसेफेलाइटिस होने के बाद भी मिर्गी का खतरा रहता है.
दो से तीन फीसदी मरीजों में आनुवांशिक कारण भी देखा गया है. मिर्गी रोग दो प्रकार का हो सकता है आंशिक तथा पूर्ण. आंशिक मिर्गी में मस्तिष्क का एक भाग अधिक प्रभावित होता है. पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित होते हैं.विश्र्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार विश्र्व मस्तिष्क दिवस को मिर्गी रोग पर समर्पित किया है. भारत में करीब 1.20 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को घर के लोग ही अलग-थलग करने लगते हैं. पढ़े-लिखे लोगों में भी इस बीमारी के प्रति अज्ञानता है.
यही वजह है कि यह बीमारी आम बीमारी की तुलना में ज्यादा खराब मानी जाती है. मिर्गी के बारे में ज्यादा जानकारी न होने के कारण इस बीमारी को लेकर कई तरह के मिथक हैं. जैसे मिर्गी के समय मरीज के हाथों में लोहे की कोई चीज या चाबियों का गुच्छा पकड़ा देने से मिर्गी का दौरा तत्काल बंद हो जाना अंधविश्र्वास है. ऐसे ही दिमाग पर जोर पड़ने से या मानसिक तनाव से मिर्गी नहीं होती.
मिर्गी के झटकों के दौरान व्यक्ति को जोरों से पकड़ कर रखना भी ठीक नहीं होता. इसी तरह बेहोशी की अवस्था में मुंह में पानी या अन्य कोई तरल पदार्थ डालना भी खतरनाक हो सकता है.
मिर्गी रोग साध्य है लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि इसका उपचार पूरी तरह और सही ढंग से कराया जाए. मिर्गी रोग को ठीक करने के लिये डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी है, इसके साथ ही दवाओं का नियमित सेवन उससे भी ज्यादा जरूरी है.
यदि मरीज लगातार दवा खाए तो बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है. बीमारी से पीड़ित लोग भी दूसरे लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं और अपना काम सही तरीके से कर सकते हैं. लेकिन मिर्गी के रोगी को कार, स्कूटर आदि वाहन नहीं चलाने चाहिए और साथ ही खतरनाक मशीनों का संचालन से भी नहीं करना चाहिए. मिर्गी जैसी बीमारी के इलाज में धैर्य रखना आवश्यक होता है क्योंकि इसका इलाज़ काफी लम्बे समय तक चलता है.