तभी तो सिमट गए वो औरों की बाँहों में

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छोंड़ गए हमको वो अकेले ही राहों में,

चल दिए रहने वो गैर की पनाहों में,

शायद मेरी चाहत उन्हें रास नहीं आयी,

तभी तो सिमट गए वो औरों की बाँहों में।

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