महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद अब तक सरकार के गठन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी और उसकी गठबंधन सहयोगी में खींचतान जारी है, वहीं राज्य की एक अन्य मुख्य पार्टी एनसीपी ने स्पष्ट किया है कि वह न तो बीजेपी और न ही शिवसेना को अपना समर्थन देगी। उल्लेखनीय है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें हासिल हुई हैं और कोई भी पार्टी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है। शिवसेना को पांच निर्दलीय विधायकों व अन्य छोटी पार्टी के नेता समर्थन प्राप्त है। वहीं, पांच अन्य निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को अपना समर्थन जताया है।
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को बीजेपी या शिवसेना को समर्थन देने की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया और यह दावा किया कि दोनों पार्टियों के बीच सरकार को लेकर चल रही खींचतान सिर्फ ‘दिखावा’ भर है। पटेल ने कहा, ‘2014 के चुनाव और 2019 के चुनाव के माहौल में काफी फर्क है। उस वक्त सभी पार्टियां अपने बल पर लड़ रही थीं। लेकिन इस बार हम सभी अपने सहयोगियों के साथ चुनाव लड़े। एनसीपी, बीजेपी को समर्थन नहीं देगी।’
उन्होंने कहा कि जनता ने एनसीपी को विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है जबकि बीजेपी-शिवसेना को अपने मतभेद दूर कर लेने चाहिए। प्रफुल्ल ने कहा, ‘शिवसेना और बीजेपी के बीच जो चल रहा है वह महज दिखावा है और वे सरकार बनाएंगे। उन्हें सरकार बनानी चाहिए। अगर उनके कुछ मतभेद है उन्हें दूर कर लेना चाहिए। हम किसी पार्टी से बात नहीं करना चाहते। जनता का जनादेश हमारे लिए विपक्ष में बैठने का है। अगर स्थितियां बदलती हैं, तब हम देखेंगे।’
बता दें कि चुनाव के बाद शिवसेना लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा प्रस्तावित 50-50 के फॉर्म्यूला पर अड़ी हुई है। इसका मतलब 5 साल के कार्यकाल में ढाई साल बीजेपी और ढाई साल शिवसेना का सीएम होगा। उधर, बीजेपी के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीजेपी जल्द सरकार बनाएगी जो स्थिर सरकार होगी। उन्होंने अपने विधायकों से यह भी कहा कि वे अफवाहों पर द्यान न दें और बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनेगी।