पुलिस अगर ड्यूटी में फेल होती है तो यह लोकतंत्र के लिए घातक: डोभाल

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दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से में हुई हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल खुद लोगों का हालचाल जानने पहुंचे थे। इस हिंसा में पीड़ितों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती तो शायद हिंसा इतनी नहीं फैलती। अब अजीत डोभाल ने कहा है कि अगर पुलिस कानून का पालन नहीं करती है तो इससे सीधे-सीधे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाता है।

दिल्ली में हिंसा फैलने के तीन दिन बाद गृह मंत्रालय के आदेश पर एनएसए अजीत डोभाल ने खुद मोर्चा संभाल लिया था। हिंसा प्रभावित इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया, जिसके बाद हालात सामान्य हुए हैं। पुलिस बल की तैनाती के बाद एनएसए खुद हिंसा प्रभावित इलाकों में घुमते हुए देखे गए थे और लोगों को भरोसा दिलाते देखे गए थे कि अब वे खुद आ गए हैं, किसी को डरने की जरूरत नहीं है। गुरुवार को एनएसए का एक ऐसा बयान सामने आया है जो कहीं ना कहीं पुलिस को अपने अंदर झांकने को मजबूर करेगा।

एनएसए ने कहा कि अगर पुलिस कानून लागू करने में नाकाम रहती है तो लोकतंत्र विफल होता है। वह देशभर के युवा पुलिस अधीक्षकों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 25 फरवरी की रात को पूर्वोत्तर दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में हालात का जायजा लिया। हिंसा में कुल 13 लोगों की जानें गई हैं, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अजित डोभाल ने पूर्वोत्तर जिले के डीसीपी ऑफिस में एक बैठक की और उसके बाद प्रभावित इलाकों का दौरा किया।

डोभाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले पुलिस के एक थिंक टैंक पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘कानून बनाना लोकतंत्र में सबसे पवित्र काम है। आप (पुलिसकर्मी) उस कानून को लागू करने वाले लोग हैं। अगर आप नाकाम होते हैं तो लोकतंत्र नाकाम होता है।’

एनएसए ने कहा कि लोकतंत्र में कानून के प्रति पूरी तरह से समर्पित होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘आपको निष्पक्षता और तटस्थ भाव से काम करना चाहिए तथा यह भी महत्वपूर्ण है कि आप विश्वसनीय दिखें।’ उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम जनता के लिए पुलिस के बारे में सही धारणा बनाएं। डोभाल ने कहा कि यह किया जाना चाहिए क्योंकि धारणा से लोगों को भरोसा मिलता है और इससे विश्वास बढ़ता है जिससे लोग मनोवैज्ञानिक रूप से अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।

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