आजकल की भाग दौड़ भरी लाइफ में मेट्रो सिटी और बड़े शहरों के लोगों के पास अपने बच्चों के लिए समय नहीं होता। क्योंकि मेट्रो सिटीज के पेेरेंट्स अपनी जॉब और आॅफिस के कामों में ज्यादातर बिजी रहते है। ऐसे में छोटे और दुधमुंहे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होती है। उनके पास जॉब के चलते अपने बच्चों के लिए समय निकालना मुश्किल सा हो जाता है इसलिए मां-बाप अपने बच्चों के लिए क्रेच या डे केयर केंद्रों का सहारा लेते हैं बच्चा डे-केयर में सुरक्षित है इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
ना करें लापरवाही
बच्चों को डेकेयर में डालने के बाद आपको बेपरवाही बिल्कुल ना करें। क्योंकि ये आपके नन्हें बच्चों की जिंदगी का सवाल है।
जांच-पड़ताल करना जरूरी
सबसे पहले तो आप जिस भी डे केयर में बच्चों को रखने जा रहे हैं वहां की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें। उस क्रेच की क्रैडिबिलिटी है या नहीं। हर बात की पूरी तरह जानकारी जरूर ले लें।
सबसे पहले तो आप जिस भी डे केयर में बच्चों को रखने जा रहे हैं वहां की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें। उस क्रेच की क्रैडिबिलिटी है या नहीं। हर बात की पूरी तरह जानकारी जरूर ले लें।
कैसा है एन्वॉयरमेंट
अपने लाडले को डेकेयर में डालने से पहले इस बात का जरूर खयाल रखें कि वहां का एन्वॉयरमेंट कैसा है।
अपने लाडले को डेकेयर में डालने से पहले इस बात का जरूर खयाल रखें कि वहां का एन्वॉयरमेंट कैसा है।
रोजाना बच्चा जब घर आए तो चैक करें
जब आपका बच्चा डेकेयर से घर आए तो बच्चें के बिहेवियर को जरूर चेक करने की कोशिश करें।
जब आपका बच्चा डेकेयर से घर आए तो बच्चें के बिहेवियर को जरूर चेक करने की कोशिश करें।
बच्चे के बर्ताव पर रखें नजर
अगर आपका बच्चा दो साल या इससे छोटा है और आपके बच्चे का बिहेवियर अचानक बदल रहा है या फिर बच्चा मां-बाप से बिल्कुल अलग नहीं होना चाह रहा या फिर क्रेच में जाते ही रोने लगे तो समझ लें कोई गड़बड़ है।
अगर आपका बच्चा दो साल या इससे छोटा है और आपके बच्चे का बिहेवियर अचानक बदल रहा है या फिर बच्चा मां-बाप से बिल्कुल अलग नहीं होना चाह रहा या फिर क्रेच में जाते ही रोने लगे तो समझ लें कोई गड़बड़ है।