चीन ने रोकी कैलाश मानसरोवर यात्रा, नाथू-ला से सीमा पर लौटाया जत्थे को

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नई दिल्ली। चीन ने भारत के करीब 48 तीर्थयात्रियों के एक जत्थे को कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने से रोक दिया। यह यात्री सिक्किम में नाथू-ला दर्रा होते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले थे। इसके बाद भारत ने इस मुद्दे को बीजिंग के समक्ष उठाया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सीपीईसी और भारत की एनएसजी की सदस्यता के प्रयास समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि नाथू-ला के रास्ते तीर्थयात्रियों की आवाजाही में कुछ कठिनाइयां पेश आ रहीं हैं। इस बारे में चीनी पक्ष से बातचीत चल रही है।
सूत्रों के अनुसार लगातार बारिश से हुए भूस्खलन के कारण चीन की ओर की सड़कें बह जाने के बाद इन तीर्थयात्रियों और एक संपर्क अधिकारी को रोक दिया गया। भारतीय तीर्थयात्रियों को बताया गया कि उन्हें मौसम और सड़क की हालत सुधरने पर चीन में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।
यात्री शुक्रवार को गंगटोक लौट आए। 47 यात्रियों का पहला जत्था 15 जून को गंगटोक पहुंचा था। नाथू-ला के रास्ते वार्षिक तीर्थयात्रा कराने में सिक्किम पर्यटन विकास निगम नोडल एजेंसी का काम करता है। चीन द्वारा जत्थे को सीमा पर वापस लौटा दिए जाने की खबर से राजधानी दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली में मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाले लोगों के लिए ठहराने की व्यवस्था गुजराती समाज भवन में रहती है और यहां पर तीसरे जत्थे के तीर्थयात्री मेडिकल चेकअप के लिए आ चुके हैं। इन यात्रियों को मेडिकल चेकअप में फिटनेस मिलने के बाद 27 जून को नाथू-ला के लिए रवाना किया जाएगा।
दिल्ली में तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित हैं कि पहले रवाना किए गए दोनों जत्थों को चीन ने वापस लौटा दिया है। पहले जत्थे में 47 लोग हैं और दूसरे जत्थे में 44 लोग। मानसरोवर यात्रा के दोनों जत्थों को चीन ने नाथू-ला दर्रे से वापस लौटा दिया है।
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