अगर आप भी मोटापे से परेशान हैं तो गुरुवार को करें ये काम

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भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के रंग भेद तथा विश्लेषणों का व्याख्यान किया गया है। व्यक्ति पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव ही उसकी रूप रेखा, कार्य प्रणाली, प्रकृति और उसके व्यक्तित्व को तय करते हैं। यहां तक कि ग्रह ही व्यक्ति का मानसिक स्तर, शारीरिक अवस्था तथा स्वास्थ्य तय करते हैं। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार देवगुरू बृहस्पति व्यक्ति का भाग्य, मोक्ष, दांपत्य जीवन, खर्च और स्वास्थ्य तय करते हैं परंतु कुंडली में बृहस्पति कि स्थिति यह भी निर्धारित करती है की व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसे रहेगा। नैसर्गिक रूप से बृहस्पति की लग्न कुंडली में स्थिति व्यक्ति को मोटा या पतला बनाती है। कुण्डली में कुछ ऐसे उदाहरण देखे जाते हैं, जिससे व्यक्ति मोटापा पाता है और वो चाह कर भी पतला नहीं हो पाता।

  • यदि गुरु कुण्डली में केंद्र का स्वामी होकर पंचम भाव में आ जाए तो व्यक्ति मोटापे का शिकार होता है।
  • गुरु केंद्र का स्वामी होकर लग्न में आ जाए तो शरीर का आकार बढ़ता जाता है।
  • कुण्डली में गुरू केंद्र का स्वामी होकर लग्न के 11 वें भाव में आ जाए तो भी व्यक्ति मोटा होता है।
  • यदि गुरू कुण्डली में त्रिकोण का स्वामी होकर सातवें भाव में आ जाए तो व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त होता है।
  • जब कुंडली के त्रिकोण का स्वामी तीसरे भाव में आ जाए तो मोटापा बिन बुलाए मेहमान की तरह आ जाता है।

उपाय

  1. गुरू के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नित्य नाभि पर केसर लगाएं।
  2. प्रतिदिन गाय के घी में हल्दी मिलाकर शिवालय में दीपक करें।
  3. बृहस्पतिवार को 7 गोल पीले फल जैसे संतरे पीले कपड़े में लपेटकर अपनी नाभि क्षेत्र में सात बार वारकर किसी धार्मिक स्थल पर चढ़ाएं।
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