पैसा चाहते तो हैं, पर उसे हाथ का मैल और बुराइयों की जड़ भी मानते हैं | नहीं लगता कि कई बार धन व समृद्धि को लेकर हम बड़े नकारात्मक ढंग से सोचते हैं? ध्यान रखें, समृद्धि को पाना है तो सोच को भी बदलना होगा|
दूसरों की तरक्की से जलें नहीं
अक्सर लोग सफल लोगों के बारे में गलत सोच विकसित कर लेते हैं | उनकी मेहनत और योग्यता को नजरअंदाज कर उन्हें लालची, लोभी, धोखेबाज, किस्मत के धनी आदि कहने लगते हैं | याद रखें, सफल बनने के लिए सफल आदतें होना जरूरी हैं | दुखी होने के बजाय अपने लक्ष्य बनाएं | खुद को योग्य बनाएं |
पैसे को ऊर्जा के रूप में देखें
धन को ऊर्जा के रूप में स्वीकारें |आप भी ऊर्जा के भंडार हैं | ऐसे में महत्वपूर्ण यह नहीं कि कितना पैसा चाहिए, महत्वपूर्ण यह है कि उसे हासिल करने के लिए किस ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं | अपनी ऊर्जा को लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सोच-समझकर खर्च करें |
दूसरों को समृद्ध करें
यदि आपके पास समृद्धि का अभाव है तो सीधा मतलब है कि आप अपने कार्यों को दूसरों के लिए मूल्यवान नहीं बना पाए हैं | दूसरों का उसमें हित नहीं है | क्षतिपूर्ति का सिद्धांत तीन बातों पर जोर देता है.. आप जो कर रहे हैं, वह क्यों कर रहे हैं, उसको करने के लिए आपकी क्षमता क्या है, और आप उसके लिए खुद को कितना बदलते हैं? जब हम कार्य करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान देते हैं तो अन्य पक्ष स्वत: ही सुधर जाते हैं |
ये कदम दिलाते हैं सफलता
1. नया सीखने की प्रक्रिया में अहंकार को आड़े न आने दें |
2. केवल इच्छा न करें। व्यावहारिक बनें | अपने लक्ष्यों को अपनी और दूसरों की सफलता से जोड़ें |
3. स्थिति को यूं ही स्वीकार न करें | उसे और बेहतर बनाएं |
4. कोई काम या करियर इसलिए नहीं चुनें कि आपको पैसा चाहिए | काम वो करें, जिसमें आपकी रुचि है |